नई दिल्ली: हिन्दुस्तान की संस्कृति, खान-पान, पहनावा, भाषा और रीति-रिवाज हर कुछ एक-दूसरे से अलग और नायाब है। लेकिन इस देश में कुछ ऐसी चीजें भी हैं जो अपनी विचित्रता के कारण लोगों का ध्यान खींचती हैं, जैसे कि अजब-गजब नाम वाले गांव। ऐसे नाम जिन पर सुनकर या तो हंसी आ जाए, या फिर लोग चौंक जाएंगे। आइए आज आपको कुछ ऐसे गांव का नाम बताते हैं जिसे जानकर हैरान हो जाएंगे।
कुतियांवाली’ गांव
हिसार जिले का ‘कुतियांवाली’ गांव अपने नाम को लेकर चर्चा में रहा है। गांव की पंचायत ने एक बार गांव का नाम बदलकर ‘वीरपुर’ रखने का प्रस्ताव रखा था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ‘कुतियांवाली’ जैसे नाम की वजह से उनके बच्चों को स्कूल में मजाक का सामना करना पड़ता है और बाकी जगहों पर भी लोग उन्हें नाम लेकर चिढ़ाते हैं।
‘चोरगढ़’ और ‘कुत्ताबढ़’ जैसे नाम भी हैं
हरियाणा और आसपास के राज्यों में ऐसे नाम वाले कई और गांव हैं जो चर्चा में रहते हैं, जैसे –
- चोरगढ़: ऐसा नाम सुनते ही लगता है मानो गांव चोरों का अड्डा हो।
- कुत्ताबढ़: यहां का नाम सुनकर बाहरी लोग कई बार भ्रमित हो जाते हैं।
- लंडोरा: यह नाम भी लोगों में असहजता का कारण बन चुका है।
रेवाड़ी का ‘लूला अहीर’
रेवाड़ी जिले का ‘लूला अहीर’ गांव भी अजीब नामों की सूची में आता है। यहां रहने वाले लोग भी कई बार गांव का नाम बदलने की मांग कर चुके हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस नाम के कारण कई बार सरकारी दस्तावेजों में भी मजाक बनता है और विवाह जैसे मामलों में भी दिक्कतें आती हैं।
हरियाणा का ‘गंदा’ गांव
हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित ‘गंदा’ गांव का नाम सुनते ही लोग चौंक जाते हैं। यहां की एक छात्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर गांव का नाम बदलने की मांग की थी।
उसका कहना था कि जब वह किसी प्रतियोगिता में भाग लेने जाती है और अपना गांव ‘गंदा’ बताती है तो लोग उसका मजाक उड़ाते हैं। इससे बच्चों और युवाओं का मनोबल टूटता है।
नाम है या अपमान
गांवों के इन नामों को लेकर लोगों की भावनाएं बहुत जुड़ी होती हैं। लेकिन जब नाम सम्मान की जगह मजाक का कारण बन जाए तो बदलाव जरूरी हो जाता है। हालांकि नाम बदलने की प्रक्रिया आसान नहीं होती। इसके लिए सरकार को ग्राम पंचायत की अनुशंसा, आम सहमति, जिलाधिकारी की रिपोर्ट और अंत में गृह मंत्रालय की मंजूरी लेनी होती है।
ये सच है कि नाम बदलने से गांव की स्थिति, विकास या मूलभूत सुविधाएं नहीं बदलेंगी । लेकिन अगर एक सकारात्मक पहचान मिलती है जिससे गांव के लोगों का आत्मविश्वास बढ़े और वे गर्व के साथ अपना नाम ले सकें, तो बदलाव जरूरी है। बच्चों की पढ़ाई, नौकरियों में आवेदन और शादी-ब्याह जैसे मामलों में नाम बहुत मायने रखता है। इसीलिए गांवों के नाम बदलने की मांग आज केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि सामाजिक और व्यावहारिक जरूरत बन चुकी है। अब देखना है कि सरकार इनकी कब सुनती है।