Chandigarh, News Desk: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख Gurmeet Ram Rahim के लिए मंगलवार का दिन राहत भरा साबित हुआ है। राम रहीम को हत्या के मामले में Punjab and Haryana High Court ने बरी कर दिया। राम रहीम के साथ ही 4 अन्य लोगों को भी इस आरोप से बरी किया गया है। 2021 में राम रहीम को 4 अन्य लोगों के साथ डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया था। राम रहीम को अपनी दो शिष्याओं से दुष्कर्म का भी दोषी ठहराया गया जिसमें कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई। हाल ही में हरियाणा चुनाव से पहले गुरमीत राम रहीम सिंह के डेरा सच्चा सौदा ने बीजेपी को अपना समर्थन देने का ऐलान किया था। डेरा ने चुनाव ड्यूटी के लिए 15 सदस्यीय समिति भी बनाई थी।
डेरा प्रमुख के वकील ने फैसले का किया स्वागत
गुरमीत राम रहीम के वकील जतिंदर खुराना ने मीडिया से कहा, “…माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बदल दिया है और इसमें शामिल सभी पांच लोगों को बरी कर दिया है… हम इस फैसले का स्वागत करते हैं…।”
हाईकोर्ट ने अभी तक पूरा आदेश जारी नहीं किया है
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस ललित बत्रा की खंडपीठ ने डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या में सीबीआई की अदालत से मिली सजा के आदेश के खिलाफ राम रहीम सिंह, जसबीर सिंह, सबदिल सिंह, कृष्ण लाल और अवतार सिंह की अपीलों को स्वीकार कर लिया था। हाईकोर्ट ने अभी तक पूरा आदेश जारी नहीं किया है।
क्या था आरोप ?
अक्टूबर 2021 में पंचकूला की सीबीआई अदालत ने आरोपी जसबीर सिंह, सबदिल सिंह और कृष्ण लाल को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के साथ 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दंडनीय अपराध का दोषी ठहराया था। डेरा प्रमुख राम रहीम, अवतार सिंह, जसबीर सिंह, सबदिल सिंह और कृष्ण लाल को आईपीसी की धारा 120 बी के साथ आईपीसी की धारा 302 और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के साथ धारा 120 बी के तहत अपराध का दोषी ठहराया गया। इसके अलावा सीबीआई अदालत ने सबदिल सिंह को शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 27 के तहत अपराध का दोषी ठहराया था।
हरियाणा के सिरसा में डेरा के प्रबंधकों में से एक रंजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को कुरुक्षेत्र के थानेसर पुलिस स्टेशन एरिया में हत्या कर दी गई थी। थानेसर पुलिस स्टेशन में हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप में एक रिपोर्ट दर्ज की गई थी। 10 नवंबर, 2003 को हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया। सीबीआई के आरोपपत्र के अनुसार, डेरा प्रमुख को रंजीत सिंह पर डेरा अनुयायियों के बीच एक गुमनाम पत्र प्रसारित करने का संदेह था।
महिला साध्वियों का यौन शोषण करने का आरोप
पत्र के अंत में डेरा प्रमुख पर डेरा के अंदर महिला साध्वियों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया गया था। यह वही पत्र था जिसे सिरसा स्थित पत्रकार राम चंद्र छत्रपति ने एक न्यूज रिपोर्ट में उजागर किया था। इसके बाद छत्रपति की हत्या कर दी गई। डेरा प्रमुख को हाल ही में छत्रपति हत्या मामले में हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। चूंकि डेरा प्रमुख को उस पत्र के पीछे रंजीत सिंह का हाथ होने का संदेह था, इसलिए उन्होंने कथित तौर पर उनकी हत्या की साजिश भी रची। वहीं इस फैसले से चुनाव में कितना असर होगा ये भी देखना होगा। क्योंकि पंजाब और हरियाणा में बाबा के चाहने वालों की संख्या आज भी बहुत है।