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January 15, 2025 5:12 pm
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महाकुंभ में स्नान का पुण्य चाहिए तो पहले जान लेना चाहिए यह जरूरी नियम, नहीं तो...!-महाकुंभ में स्नान का पुण्य चाहिए तो पहले जान लेना चाहिए यह जरूरी नियम, नहीं तो...!-महाकुंभ में स्नान का पुण्य चाहिए तो पहले जान लेना चाहिए यह जरूरी नियम, नहीं तो...!-महाकुंभ में स्नान का पुण्य चाहिए तो पहले जान लेना चाहिए यह जरूरी नियम, नहीं तो...!-प्रशासनिक कार्यों में किसी भी प्रकार की विलंब नहीं होनी चाहिए - विक्रांत सिंह रिशु-विधान परिषद सदस्य विक्रांत सिंह रिशु का वाराणसी दौरा, लंबित प्रकरणों को लेकर प्रशासन को दिए सख्त निर्देश-बयानों से कुछ लेना-देना नहीं, मुख्यमंत्री केवल सूबे की प्रगति में मगन-डॉ. मधुरेंदु पांडेय।-बयानों से कुछ लेना-देना नहीं, मुख्यमंत्री केवल सूबे की प्रगति में मगन-डॉ. मधुरेंदु पांडेय।-बयानों से कुछ लेना-देना नहीं, मुख्यमंत्री केवल सूबे की प्रगति में मगन-डॉ. मधुरेंदु पांडेय।-बयानों से कुछ लेना-देना नहीं, मुख्यमंत्री केवल सूबे की प्रगति में मगन-डॉ. मधुरेंदु पांडेय।

Mahashivratri 2024: विशेष योग में महाशिवरात्रि, जानिए शुभ मुहूर्त और कैसे करें बाबा की आराधना।

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नई दिल्ली: महाशिवरात्रि सनातन धर्म का महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। भगवान शिव का प्रमुख पर्व होने से इस दिन शिव भक्त भगवान शिव का व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष पूजा अर्चना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है। आपको बात दें कि इस दिन भगवान शिव का मां पार्वती के साथ विवाह हुआ था। यह भगवान शिव के भक्तों के लिए उपवास, संयम और पूजा का दिन है। त्योहार को शिव मंदिरों में विशेष प्रार्थना और अनुष्ठानों की पेशकश के द्वारा चिह्नित किया जाता है, और कुछ भक्त मंदिर में पूरी रात जागरण भी करते हैं।

वैसे तो हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि आती है और शिवभक्त इस दिन व्रत रखते हुए भगवान भोलेनाथ और मां गौरी की पूजा करते हैं। लेकिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि बहुत ही खास होती है। इस दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि पर देशभर के सभी शिव मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन और पूजा करने के लिए बड़ी भारी भीड़ होती है। एक दूसरी धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ पृथ्वी पर आते हैं और सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं। इस तरह से महाशिवरात्रि पर व्रत रखने और शिव उपासना करने से व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं और हर एक मनोकामना पूरी होती है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि की शुभ तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और विशेष संयोग…

महाशिवरात्रि 2024
महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 08 मार्च को रात 09 बजकर 47 मिनट से होगी, जिसका समापन 09 मार्च को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर होगा। यानी महाशिवरात्रि का त्योहार 08 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा निशिता काल में करने का विधान होता है। ऐसे में महाशिवरात्रि 08 मार्च को मनाई जाएगी।

महाशिवरात्रि पर पूजा का शुभ मुहूर्त
निशीथ काल पूजा मुहूर्त : 08 मार्च की मध्यरात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक।

महाशिवरात्रि 2024 चार प्रहर पूजा शुभ मुहूर्त
प्रथम प्रहर की पूजा– 08 मार्च शाम 06 बजकर 29 मिनट से रात 09 बजकर 33 मिनट तक
दूसरे प्रहर की पूजा- 08 मार्च सुबह 09 बजकर 33 मिनट से 09 मार्च सुबह 12 बजकर 37 मिनट तक
तीसरे प्रहर की पूजा- 09 मार्च सुबह 12 बजकर 37 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
चौथे प्रहर की पूजा- 09 मार्च सुबह 03 बजकर 40 मिनट से  06 बजकर 44 मिनट तक
पारण मुहूर्त : 09 मार्च की सुबह 06 बजकर 38 मिनट से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक।

महाशिवरात्रि पर बना दुर्लभ योग
इस बार शुक्रवार को महाशिवरात्रि का त्योहार है और इसी दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा। महाशिवरात्रि चतुर्दशी तिथि जबकि प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। लेकिन इस बार तिथियों के संयोग के कारण फाल्गुन की त्रयोदशी तिथि और महाशिवरात्रि की पूजा का निशिता मुहूर्त एक ही दिन है। ऐसे में इस बार एक व्रत से दोगुना लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
इसके अलावा इस वर्ष महाशिवरात्रि पर तीन योग भी बन रहे हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिव, सिद्ध और सर्वार्थसिद्ध योग का निर्माण होगा। शिवयोग में पूजा और उपासना करने को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस योग में भगवान शिव का नाम जपने वाले मंत्र बहुत ही शुभ फलदायक और सफलता कारक होते हैं। वहीं सिद्ध योग में नया कार्य करने पर उसमें पूर्ण सफलता हासिल होती है। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग में हर कार्य में सफलता मिलती है।

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें भोले बाबा की पूजा
सबसे पहले महाशिवरात्रि पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें,फिर भोलेनाथ का नाम लेते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। व्रत के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के मंत्रों को जपते हुए दोनों का आशीर्वाद लें। शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। घर के पास स्थित शिव मंदिर जाकर शिवलिंग को प्रणाम करते हुए और शिवमंत्रों के उच्चारण के साथ गंगाजल, गन्ने के रस, कच्चे दूध, घी और दही से अभिषेक करें। फिर इसके बाद भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, धतूरा और बेर आदि अर्पित करें। और अंत में शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें। साथ ही ॐ नमः शिवाय  का जाप करें। बस इतना याद रखें शिव हैं तो सब संभव है। जय शिव शंकर।

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