मऊ। आस्था का महापर्व छठ क्षेत्र के घाटों पर जगह जगह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आस्था का जन सैलाब उमड़ा रहा।
उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ पर्व संपन्न हुआ। वहीं महिलाओं ने 36 घंटे के बाद प्रसाद और अन्न लेकर व्रत खोला। लोक आस्था का महापर्व छठ उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ। सुबह के समय भगवान भास्कर को सूर्योदय काल में अर्घ्य दिया गया। क्षेत्र के दोहरीघाट सरयू नदी, गोठा रामशाला पोखरा, रेलवे लाइन पोखरा, फरसरा खुर्द पोखरा, फरसरा बुजुर्ग पोखरा, मादी पोखरी, कुसुम्हा सहित क्षेत्र के अन्य जगह आस्था की डुबकी से सराबोर दिखे। प्रतःकाल बेला में व्रती महिलाओं ने उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद मां छठी मैया की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और इसके बाद व्रत का पारण किया। बता दें कि, यह व्रत कुल 36 घंटे का था। जिसे व्रती महिलाओं ने छठ पूजा के समापन के बाद खोला है। यह पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्य में बड़े धूम-धाम के साथ मनाया गया। करीब लाखों की संख्या में व्रती महिलाओं ने जगह-जगह घाटों पर अपनी आस्था की उपस्थिति दर्ज करवाई। वही बच्चों ने खूब पटाखे जलाए।
चार दिनों तक चला ये पर्व
छठ का यह पर्व 5 नवंबर नहाय खाय से शुरू हुआ था और आज 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की विधि के साथ पूर्ण रूप से संपन्न हुआ। चार दिनों के चलने वाले इस पर्व में व्रती महिलाओं ने खरना के बाद से व्रत का संकल्प लिया था। यह व्रत कुल 36 घंटे का होता है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है। इस व्रत का पारण कर महिलाओं ने छठ के प्रसाद के साथ अन्न-जल को ग्रहण किया।
व्रत रखने के पीछे की मान्यता
छठ पूजा का व्रत घर की महिलाएं रखती हैं। यह व्रत छठी मैया और सूर्य भगवान को समर्पित होता है। मान्यता है कि छठी मैया निसंतान दांपतियों को संतान का वर्दान देती हैं और घर की सुख समृद्धि का भी आशीर्वाद देती है। इस वजह से महिलाएं छठ पर्व का व्रत रखती है। जिससे उनकी संतान को दीर्घायु की प्राप्ति हो।
पुलिस प्रशासन रहा मुस्तैद
छठ पर्व शाति से और बिना किसी अप्रिय घटना के संपन्न हो, इसके लिए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं। दोहरीघाट के थानाध्यक्ष प्रमेंद्र सिंह ने सरयू घाट, गोंठा रामशाला मंदिर कुसुम्हा नहर छठ घाट, नई बाजार छठ घाट, सती घाट व तारनपुर घाट समेत आदि नहर तथा अन्य घाटों पर पुलिस बलों की तैनाती की गई हैं। थानाध्यक्ष प्रमेंद्र सिंह दोहरीघाट ब्लाक के घाटों पर भ्रमण करते रहे।