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चीनी कंपनियां बना रही है अपनी प्राइवेट आर्मी, चीन में आखिर चल क्या रहा है?

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नई दिल्ली: 1970 के दशक के बाद देश में पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है। जब आर्थिक मोर्चे पर कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे चीन में कंपनियां अपनी-अपनी वॉलंटियर आर्मी बनाने में जुटी है। पिछले एक साल में कम से कम 16 कंपनियां अपने लड़ाकुओं की सेना तैयार कर चुकी है। इनमें एक प्राइवेट कंपनी भी है जो डेरी इंडस्ट्री से जुड़ी है। कंपनियों की प्राइवेट आर्मी को पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेज डिपार्टमेंट्स के नाम से जाना जाता है। इनमें सिविलियन लोग भी शामिल हैं। ये चीन की सेना के लिए रिजर्व और ऑक्जिलरी फोर्स का काम करती हैं। प्राकृतिक आपदाओं से लेकर देश में व्यवस्था बनाने में इनकी भूमिका होती है।
युद्ध में मदद करने को भी रहती हैं तैयार
पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेस डिपार्टमेंट के नाम से जानी जाने वाली इन यूनिट्स के लोग अपनी रेगुलर जॉब भी बनाए रखते हैं। ये यूनिट्स दुनिया की सबसे बड़ी चीन की सेना के लिए एक रिजर्व और सहायक बल के रूप में काम करती हैं। ये यूनिट्स प्राकृतिक आपदाओं में और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने से लेकर युद्ध के दौरान भी मदद करने तक के मिशनों के लिए उपलब्ध रहती हैं।
आखिर क्यों बनाई जा रही प्राइवेट आर्मी?
विश्लेषकों का कहना है कि इन कॉरपोरेट ब्रिगेड्स की स्थापना विदेशों में संभावित संघर्ष और इकोनॉमी के लड़खड़ाने के चलते घरेलू सामाजिक अशांति के बारे में चीन की बढ़ती चिंताओं को उजागर करती हैं। इसके अलावा इन ब्रिग्रेड्स को महामारी से निपटने की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश में कम्युनिस्ट पार्टी का मजबूत कंट्रोल चाहते हैं। इसमें कॉरपोरेट सेक्टर भी शामिल है।
कर्मचारी हड़ताल को दबाने में मिलेगी मदद
एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस में चीनी राजनीति के फेलो नील थॉमस ने कहा, “कॉरपोरेट आर्मी की वापसी शी की उस जरूरत पर बढ़ते जोर को दर्शाती है कि जैसे-जैसे देश धीमी गति से विकास और बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के अधिक कठिन भविष्य का सामना कर रहा है, आर्थिक विकास को राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ बेहतर ढंग से एकीकृत करने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा, “सैन्य नेतृत्व के तहत कॉरपोरेट आर्मी उपभोक्ता विरोध और कर्मचारी हड़ताल जैसी सामाजिक अशांति की घटनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से दबाने में मदद कर सकती है।”
सामाजिक अशांति की आशंका
जानकारों का कहना है कि कंपनियों द्वारा प्राइवेट आर्मी का गठन करना इस बात का संकेत है कि चीन की सरकार इकॉनमी को लेकर चिंतित है। उसे लग रहा है कि आर्थिक हालात खराब होने से देश में अशांति फैल सकती है। इस स्थिति से निपटने के लिए कंपनियां निजी आर्मी तैयार कर रही हैं।

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