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अमेरिका-ब्रिटेन का यमन की राजधानी पर एयरस्ट्राइक, 18 ठिकानों को बनाया निशाना

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नई दिल्ली: मिडिल ईस्ट से इस वक्त बड़ी खबर ये है कि जहां अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाओं ने अन्य देशों की सेना के साथ मिलकर हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर जोरदार हमला बोला है। ये हूती विद्रोही यमन में मानवीय सहायता देने के लिए भेजे जा रहे मालवाहक जहाजों को निशाना बना रहे थे।
अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने कहा कि यमन की राजधानी सना में हूती के ठिकानों को निशाना बनाया गया है। 18 ठिकानों को निशाना बनाया गया है। अमेरिका ने कहा कि हूती आतंकी मालवाहक जहाजों पर हमला कर रहे थे।
इन देशों का मिला समर्थन
ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड के समर्थन से संयुक्त हमले किए गए।

इन जगहों को बनाया निशाना।
अमेरिका की मध्य कमान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कहा, ’24 फरवरी को करीब 11 बजकर 50 मिनट पर अमेरिका और ब्रिटेन के सशस्त्र बलों ने ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड के सहयोग से यमन के  ईरानी समर्थित हूती विद्रोहियों के 18 ठिकानों पर हमला किया।’ सेना ने आगे बताया कि हूती के उन ठिकानों को लक्ष्य बनाया गया, जहां से वह अंतरराष्ट्रीय व्यापारी जहाजों और नौसैनिक जहाजों पर हमला करते थे।

अमेरिका को बना रहा निशाना
आपको बता दें कि, गाजा में हो रहे इस्राइल हमलों से मध्यपूर्व बौखलाया हुआ है। मध्यपूर्व गाजा में हो रहे हमलों का कारण अमेरिका को मानता है। इसी वजह से हूती विद्रोही अदन की खाड़ी में व्यापारिक जहाजों के खिलाफ हमले कर रहे हैं। साथ ही कभी ईरान तो कभी जॉर्डन को कभी सीरिया में अमेरिकी सेना और अमेरिकी प्रतिष्ठानों पर हमले हो रहे हैं। हाल ही में तुर्किये में दो बंदूकधारी एक अमेरिकी कंपनी में घुस गए, उन्होंने कंपनी में मौजूद सात लोगों को को बंधक बना लिया था।
हमले का मकसद
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा- हमलों का मकसद ईरानी समर्थित हूती विद्रोहियों की क्षमताओं को कमजोर करना था। हूतियों के हमलों की वजह से मिडिल ईस्ट देशों की आर्थिक स्थिति, पर्यावरण और यमन जैसे देशों में मानवीय सहायता पहुंचाने में सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। हम हूतियों को यह बताना चाहते हैं कि अगर वो हमले रोकेंगे नहीं तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

 

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