
SPOT TV,News Desk: वडोदरा की गायकवाड़ शाही वंश की महारानी राधिकाराजे गायकवाड़ आज भारत की आधुनिक राजघरानों की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में गिनी जाती हैं। उनकी पहचान सिर्फ इस वजह से नहीं कि वे ₹25,000 करोड़ के भव्य लक्ष्मी विलास पैलेस में रहती हैं बल्कि इसलिए भी कि उनकी ज़िंदगी में शाही विरासत, गहरी शिक्षा, इतिहास की समझ और समाजसेवा का अनोखा संगम है।

विरासत-शिक्षा-परंपरा के साथ आधुनिक सोच का मेल
राधिकाराजे का संबंध गुजरात की वांकानेर रियासत से है, और उनका बचपन प्रशासनिक व सांस्कृतिक वातावरण में बीता। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से इतिहास में गोल्ड-मेडलिस्ट पोस्ट-ग्रेजुएट हैं। इतिहास और संस्कृति की यह गहरी समझ बाद में उनके काम में साफ दिखाई देती है।
शादी और नई भूमिका: बारोडा की महारानी
2002 में उनका विवाह समरजीतं सिंह गायकवाड़ से हुआ, जो बारोडा के गायकवाड़ राजवंश के प्रमुख हैं। इसके बाद राधिकाराजे पर विरासत, परंपराओं और Lakshmi Vilas Palace जैसे विश्वविख्यात महल की जिम्मेदारियां बढ़ गईं।
दुनिया का सबसे बड़ा निजी निवास और उसकी संरक्षक
लक्ष्मी विलास पैलेस दुनिया का सबसे बड़ा निजी निवास माना जाता है। 30 लाख वर्गफुट क्षेत्रफल, 170+ कमरे, निजी गोल्फ कोर्स, दरबार हॉल, म्यूज़ियम, कला संग्रह, राजा रवि वर्मा की दुर्लभ पेंटिंग्स, यूरोपीय और भारतीय वास्तुकला का शानदार मिश्रण है। आज अधिकतर राजमहल होटल बन चुके हैं, लेकिन राधिकाराजे ने इस विरासत को एक जीवित, सक्रिय शाही निवास के रूप में बनाए रखा है। वे महल की मरम्मत, कला संरक्षण, और हेरिटेज रिसर्च का नेतृत्व करती हैं। यह एक मुश्किल, महंगा और विशेषज्ञता-आधारित काम है, जिसे वे बेहद संवेदनशीलता से संभालती हैं।
पूर्व पत्रकार, लेखिका और इतिहास शोधकर्ता
शाही परिवार में मिलने के बाद भी उन्होंने अपने करियर को छोड़ा नहीं। वे पूर्व पत्रकार हैं। इतिहास और विरासत पर लेखन करती हैं। भारतीय कला, संस्कृति और राजवंशों पर रिसर्च में सक्रिय भूमिका निभाती हैं। उनकी लेखन शैली में शाही जीवन के पीछे की वास्तविकता, संस्कृति और समाज के प्रति जिम्मेदारी झलकती है।
समाजसेवा ,महिलाओं और बच्चों के लिए काम
राधिकाराजे गायकवाड़ कई सामाजिक अभियानों से जुड़ी हुई हैं। वे विशेष रूप से महिलाओं की शिक्षा, बाल विकास, हस्तशिल्प और लोक कलाकारों के संरक्षण, ग्रामीण सशक्तिकरण पर सक्रियता से काम करती हैं। उनकी पहल का फोकस है “विरासत और विकास साथ-साथ।”
परंपरा का सम्मान, आधुनिकता की समझ
डिजिटल दौर में जब शाही परिवारों को फिल्मों/सीरीज़ में गलत ढंग से दिखाया जाता है, तब राधिकाराजे ने स्पष्ट और दृढ़ आवाज उठाई कि “भारत के राजघरानों ने आज़ादी के बाद भी राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है।” उनकी यह टिप्पणी देशभर में चर्चा का विषय बनी।
राधिकाराजे गायकवाड़ सिर्फ शाही वैभव की मिसाल नहीं वे एक ऐसी महिला हैं जिसने शिक्षा, संस्कृति, विरासत संरक्षण और सामाजिक सेवा को अपनी असली पहचान बनाया है। वे यह संदेश देती हैं कि शाही होना दिखावे से नहीं, जिम्मेदारी और कर्म से साबित होता है।

