SPOT TV | Best News Channel

Sptlogo
February 16, 2025 11:19 am
Download
Header Banner
Search
Close this search box.
घोसी तहसीलदार के खिलाफ वकीलों का आंदोलन चौथे दिन भी जारी-ऑल इंडिया जर्नलिस्ट यूनियन के राष्ट्रीय सचिव बने विवेक चौहान, राष्ट्रीय सचिव बनने पर बधाईयों का लगा तांता -घोसी तहसीलदार के भ्रष्ट रवैये से अधिवक्ता आहत, तहसील में चक्कर लगा कर किया विरोध प्रदर्शन-भूमाफिया द्वारा वकील की भूमि पर कब्जा करने की कोशिश, पुलिस ने समय रहते कार्रवाई कर रुकवाया-शांति निकेतन इंटर कॉलेज में गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण-घोसी: तहसील सभागार में गणतंत्र दिवस पर गोष्ठी संपन्न, राष्ट्रभक्ति का दिखा जोश-घोसी : गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण समारोह संपन्न, राष्ट्रीय एकता की ली शपथ-काशी युवा महोत्सव 2025 : मीना चौबे ने स्वामी विवेकानंद को बताया युवा शक्ति का प्रतीक-Rahul गांधी ने ये क्या कह दिया?, BJP हो गई आगबबूला।-Rahul गांधी ने ये क्या कह दिया?, BJP हो गई आगबबूला।

घोसी तहसीलदार धर्मेंद्र पाण्डेय के कारनामों की खुली पोल….

Share This News
  • न्याय के मंदिर में नियम और कायदे-कानून ‘ताक’ पर
  • तहसीलदार कोर्ट में उड़ रही है न्याय की धज्जियां
  • विधि व मैनुअल के प्राविधानों के विपरीत हो रहे न्यायिक कार्य
  • तहसीलदार के भ्रष्ट रवैए से रूष्ट हैं घोसी के अधिवक्ता
  • धर्मेंद्र पाण्डेय ने 12 लोगों के नाम कर दी थी चारागाह व मरघट की 150 बीघा जमीन
  • डीएम शाहजहांपुर ने किया था धर्मेंद्र पाण्डेय को निलंबित
  • तहसीलदार धर्मेंद्र पाण्डेय के खिलाफ चल रही है विभागीय जांच

Spot TV Desk.

मऊ। जब न्याय के मंदिर में नियम और कायदे-कानून को ताक पर रखकर फैसला सुना दी जाए तो समझ लीजिए कि मंत्री एके शर्मा की देवतुल्य जनता के साथ किस तरह का न्याय हो रहा होगा। दरअसल देवरिया कांड के बाद सरकार ने राजस्व अधिकारियों को न्याय करने का आदेश दिया था। लेकिन पिछले 4 महीनों में अधिकारियों ने देवतुल्य जनता के साथ किस तरह का न्याय किया है इसे अधिवक्ता और वादकारी बखूबी समझ रहे हैं। योगी आदित्यनाथ की सरकार को राजस्व अधिकारी कैसे पलीता लगा रहे हैं इसकी बानगी आपको घोसी तहसील में बखूबी देखने को मिलेगी। हजारों फाइलें इस बिनाह पर खारिज कर दी गईं कि सरकार का आदेश है। उसी बहती गंगा में अधिकारियों की मनमानी भी बदस्तूर चलती रही।

दरअसल घोसी के तहसीलदार डा. धर्मेंद्र पाण्डेय ने अपने न्यायालय की पत्रावलियों में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मैन्युअल में दी गई व्यवस्था व विधि के प्राविधानों के विपरीत जाकर आदेश पत्रक लिख दिया यही नहीं बल्कि एंटीडेटेड कार्यवाहियां भी की है और उन कार्यवाहियों के जस्टिफाई करने के लिए तहसीलदार द्वारा लिखित आदेश पत्रक को बदलकर परिवर्तित आदेश पत्रक लिखकर, केस डायरी के पन्नों को बदलकर अभिलेखों में हेरा फेरी व टेंपरिंग करके आदेश पारित किए जा रहे हैं। एक न्यायिक अधिकारी द्वारा इस तरह का आचरण कानून का राज्य व विधि द्वारा स्थापित व्यवस्था का घोर उल्लंघन है जिससे तहसील बार एसोसिएशन के आम अधिवक्ता व वादकारी पीड़ित प्रभावित हो रहे हैं। इस बात की जानकारी घोसी तहसील के अधिवक्ताओं ने दी।

घोसी के अधिवक्ताओं से मिली जानकारी के मुताबिक घोसी तहसीलदार द्वारा न्यायालय में बैठकर न्याय की मान्य परंपराओं एवं विधि व्यवस्थाओं के विपरीत जो कार्य व्यवहार व आचरण किया जा रहा है वह न्यायिक प्रणाली के लिए घोर चिंता का विषय है। इस बात से आहत अधिवक्ताओं ने तहसीलदार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

घोसी के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि घोसी तहसील में ज्यादातर अधिवक्ता लगभग 45, 46 वर्ष से तहसील घोसी एवं जनपद न्यायालय व न्यायिक कार्य संपादन करते चले आ रहे हैं। किसी न्यायिक अधिकारी द्वारा अपने पारित आदेश का फाड़ना एवं केस डायरी को फाड़ना प्रथम बार देखा गया है जो घोर चिंता जनक है तथा न्याय की परंपरा व विधि के प्राविधानों के पालन न किए जाने के लिए एक अक्षम्य अपराध है। न्याय की प्रणाली में कोर्ट पर बैठने वाले न्यायिक अधिकारी का कानून के दायरे में उतना ही काम करने का दायित्व है जितना डायस के उस पार खड़े अधिवक्ता व वादकारी के, किंतु तहसीलदार घोसी द्वारा अपने न्यायिक अधिकारी के पद पर रहते हुए कार्य करने का जो दायित्व था उनके द्वारा विधि के प्राविधानों व मैन्युअल में दी गई व्यवस्था के विपरीत जाकर प्रार्थना पत्र के साथ सम्यक रूप में कॉज लिस्ट एवं पत्रावली में केस डायरी परिवर्तित की गई जिसका साक्ष्य भी मौजूद है।

घोसी के अधिवक्ताओं ने कहा कि तहसीलदार घोसी के इस कार्य व्यवहार से बार के अधिकतम अधिवक्ता आहत हैं जिससे उनके विरुद्ध घोसी तहसील में काफी आक्रोश व्याप्त है इसलिए घोसी तहसीलदार का घोसी तहसील में बने रहना उपयुक्त नहीं है उनके विरुद्ध अधिवक्ताओं में काफी आक्रोश है। इसी कड़ी में घोसी तहसील बार एसोसिएशन द्वारा डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के माध्यम से कलेक्टर को पत्र लिखा गया है।

गौरतलब है कि पूरे प्रदेश में घोसी एक ऐसी तहसील है जहां केस डायरी का कंप्यूटराइजेशन नहीं है ना तो कोई मैसेज प्रसारित किया जाता है ना तिथि ही कंप्यूटराइज्ड दर्ज की जाती है। यही नहीं घोसी तहसीलदार द्वारा अलग-अलग आदेश एक ही समान तथ्यों एवं वादों में अलग-अलग भिन्न-भिन्न विचार व्यक्त करते हुए आदेश पारित किए जाते हैं जो सर्वथा विधि निहित प्राविधानों के अनुरूप नहीं है।

गजब की बात तो यह है कि घोसी के तहसीलदार डा. धर्मेंद्र पाण्डेय द्वारा पूर्व नियुक्ति स्थान पर रहते हुए 150 बीघा मरकट और चारागाह की जमीन 12 भूमाफियाओं के नाम आवंटित किया गया था। जिसकी राजस्व परिषद में जांच भी चल रही है।

अब सवाल यह है कि जिस तहसीलदार ने शाहजहांपुर की एक तहसील क्षेत्र की 150 बीघा मरकट और चारागाह की जमीन 12 भू-माफियाओं को आवंटित कर दिया हो उसके बाद सस्पेंड हुआ हो, उस तहसीलदार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और जांच चल रही हो वह घोसी तहसील में कितनी ईमानदारी से देवतुल्य जनता के साथ न्याय कर रहा होगा।

यक्ष प्रश्न है…..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Categories updates

घोसी तहसीलदार के खिलाफ वकीलों का आंदोलन चौथे दिन

भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर तहसीलदार का बहिष्कार  जब तक अधिवक्ता रूठा.

ऑल इंडिया जर्नलिस्ट यूनियन के राष्ट्रीय सचिव बने विवेक

नई दिल्ली। पत्रकारों के राष्ट्रीय संगठन ऑल इंडिया जर्नलिस्ट यूनियन (AIJU) ने.

घोसी तहसीलदार के भ्रष्ट रवैये से अधिवक्ता आहत, तहसील

मऊ। घोसी तहसील में शुक्रवार को अधिवक्ताओं ने तहसीलदार शैलेंद्र चंद्र सिंह.