Patna: 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी जो की आज की तारीख में देश के प्रधानमंत्री हैं बड़ी ही चालाकी से देश की जनता को गुमराह किया। बिहार प्रदेश सेवादल यंग ब्रिगेड के अध्यक्ष, आदित्य पासवान ने प्रधानमंत्री से उनके ही द्वारा जनता से किये गये वादों पर सवाल किया और एक-एक कर जवाब मांगा।
PM मोदी ने जनता का तेल निकाल रखा है
मंहगाई के मसले पर हाय तौबा मचाने वाली भाजपा और पीएम मोदी आज की तारीख में एक शब्द नहीं बोलते। उस वक्त उन्हें 400 रुपये वाली गैस की सिलेंडर मंहगी लगती थी और आज 1200 रुपये सस्ती। अब तो दोहरा मार झेलना पड़ रहा है। सब्सिडी भी ना मात्र की और गैस हुआ महंगा अलग। हां चुनाव को लेकर तात्कालिक राहत वो देते रहते हैं। पूरे साल लूटते हैं और फिर चुनाव के समय जनता को लॉलीपॉप थमा देते हैं। बात इतनी सी नहीं है बाजार में वो चाहे दाल हो या तेल हर जगह मोदी जी ने जनता का तेल निकाल रखा है। उन्होंने तो चैलेंज किया कि अगर हिम्मत है तो पीएम मोदी महंगाई के मसले पर देश को बताएं कि 2014 में महंगाई थी या आज उनके अमृत काल में। आज की तारीख में महंगाई कम करने के बजाय उन्होंने बेतहाशा वृद्धि कर दी। पेट्रोल-डीजल भी शतक पार है। महंगाई कम करने में बीजेपी बिलकुल ही विफल रही है
किसानों के साथ वादाखिलाफी
बीजेपी ने कहा था कि किसानों की जिंदगी में खुशहाली लाएंगे लेकिन सरकार की बेरुखी से परेशान किसान अपने हक के लिए आंदोलन पर बैठे हैं, जिसमें 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई। दुखदाई ये है की केंद्र सरकार ने ऐसी परिस्थिति बना दी कि अन्नदाता को दुबारा अपने हक के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। वहीं केंद्र की सरकार चैन की नींद सो रही है। फरवरी 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। एग्रीकल्चर पर बनी संसदीय समिति की रिपोर्ट में ही कहा गया है कि सरकार अपने टारगेट से अभी काफी दूर है। और आपको जानकर हैरानी होगी कि संसदीय समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद पीसी गद्दीगौदर थे। क्या हुआ उनके वादों का? बताएंगे मोदी जी? कहां तो चले थे किसानों की जिंदगी में खुशहाली लाने को और ला दिया बदहाली?
बीजेपी मतलब उद्योगपतियों की सरकार
आदित्य पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार एक तरफ जहां अपने अमीर उद्योगपतियों दोस्तों के कर्जे माफ कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ गरीब जनता के खाने-पीने के चीजों पर टैक्स बढ़ा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर केंद्र सरकार अमीर उद्योगपतियों और अपने दोस्तों के लाखों करोड़ों के कर्ज माफ नहीं करती तो आज गरीब लोगों से खाने-पीने की चीजों पर ज्यादा टैक्स नहीं लगाना पड़ता। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने सिर्फ अपने दोस्तों और बड़े उद्योगपतियों के कर्जे ही माफ नहीं किए हैं बल्कि उन्हें टैक्स में भी छूट दी है। सरकार ने बीते कुछ समय में बड़े उद्योगपतियों के 5 लाख करोड़ रुपये के टैक्स भी माफ कर चुकी है। वहीं किसानों और आम जनता व छोटे और मंझोले व्यापारियों से गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) की जोर पर वसूली कर रही है। पैसा दो नहीं तो सीबीआई,ईडी,इनकम टैक्स लगा देंगे। यही तो चल रहा है मोदी जी के राज में। इसलिए जब ऐसी सरकार सत्ता में बैठी हो तो सारे फैसले उद्योगपतियों के हितों को देखकर ही किया जाएगा, आम आदमी के जेब से पैसा कैसे निकाला जाए, उस हिसाब से पॉलिसी बनाई जाती है, क्योंकि ये तो उद्योगपतियों की सरकार है।
2 करोड़ नौकरियां बांटने के वादे खोखले निकले
नरेन्द्र मोदी सरकार युवाओं के लिए नया अवसर पैदा करने में विफल रही है। श्री पासवान ने पुछा कि आठ साल में 16 करोड़ नौकरियों देने का वादे का क्या हुआ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस पर मौन क्यों हैं? हर साल अच्छे वेतन वाली दो करोड़ नौकरियों का सृजन करना तो भूल जाइए, साहब भाजपा सरकार विगत आठ वर्षों में केंद्र सरकार में खाली पड़े 10 लाख पदों को भरने के बारे में सोच भी नहीं सकी। उन्होंने तंज कसते हुए हुए सवाल किया, ‘‘इन दिनों हम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ के बारे में बहुत कुछ नहीं सुनते। कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए काम करने का दावा करती है। सरकार ने संसद में दिए अपने खुद के जवाब में माना कि एससी, एसटी और ओबीसी के रिक्त पड़े पदों को अभी भरा नहीं गया है। मोदी सरकार इन रिक्तियों को भरने के लिए क्या कर रही है? और जहां तक बेरोजगारों को नौकरियां देनी की बात है , सरकार खुद प्राइवेटाइजेशन के जरिए सरकारी रिक्तियां कम कर रही है और अपने उद्योगपति मित्रों को सरकारी संस्थानें बेच रही है।
भ्रष्टाचार का वाशिंग मशीन है भाजपा
बिहार प्रदेश सेवादल यंग ब्रिगेड के अध्यक्ष, आदित्य पासवान ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष के 95 फीसदी नेताओं पर ईडी और सीबीआई का केस दर्ज हुआ है, लेकिन जो नेता बीजेपी में शामिल हो जाते हैं उसका दाग धुल कर साफ कर दिया जाता है। दरअसल पीएम भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं है, बल्कि वे कहते हैं कि बीजेपी में आकर भ्रष्टाचार करो। उदाहरण हमसब के सामने है-
हिमंत बिस्वा सरमा, असम- शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने आरोपी बनाया था। बीजेपी में आ गए पाकसाफ हैं। और अब सीएम हैं असम के।
शुभेंदु अधिकारी, पश्चिम बंगाल-ममता सरकार में कद्दावर मंत्री रहे शुभेंदु अधिकारी से सीबीआई ने शारदा घोटाले में पूछताछ शुरू की थी बाद में नारदा स्टिंग ऑपरेशन में भी पैसा लेने का आरोप लगा, जिसकी जांच ईडी ने शुरू की। जांच एजेंसी उन्हें परेशान कर रही थी, लेकिन जैसे ही बीजेपी में गए तो सारे मामले में उन्हें क्लिन चिट मिलने लगा। शुभेंदु वर्तमान में बंगाल विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता यानी नेता प्रतिपक्ष हैं।
मुकुल रॉय, पश्चिम बंगाल-पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल रॉय पर 2015 में शारदा घोटाले में पैसा लेकर चिटफंड कंपनी फेवर देने का आरोप लगा था। रॉय ने 2017 में बीजेपी ज्वाइन कर लिया, जिसके बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। साल 2019 में रॉय ने दावा किया कि सीबीआई ने इस मामले में उन्हें क्लिन चिट दे दिया है और गवाह के तौर पर सिर्फ पूछताछ की है। हालांकि, 2021 में मुकुल रॉय बीजेपी हाईकमान से खटपट होने के बाद पार्टी छोड़ फिर से तृणमूल में शामिल हो गए।
नारायण राणे, महाराष्ट्र- बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने उन पर आदर्श सोसायटी मामले में हेरफेर का आरोप लगाया था। साल 2012 में सोमैया ने सीबीआई को 1300 पन्नों का एक दस्तावेज भी सौंपा था। साल 2017 में किरीट सोमैया ने ईडी को पत्र लिखकर नारायण राणे की संपत्ति जांच करने की मांग की थी। सोमैया ने कहा था कि राणे मनी लॉन्ड्रिंग कर अपना पैसा सफेद कर रहे हैं। साल 2019 में नारायण राणे बीजेपी में शामिल हो गए और उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया। अब राणे को लेकर सीबीआई और ईडी ने जांच रोक दी है।
अजित पवार, महाराष्ट्र-महाराष्ट्र के कद्दावर नेता अजित पवार पर 70 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले का आरोप 2014 से पहले बीजेपी लगाती थी। इस मामले की जांच ईओडब्लयू को सौंपी गई थी। अजित पवार को लेकर बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे पवार को जेल में चक्की पीसने की बात कह रहे थे। 2019 में एक राजनीतिक उठापटक में अजित बीजेपी के साथ चले गए। पवार देवेंद्र फडणवीस के साथ जाकर गठबंधन कर लिया और खुद डिप्टी सीएम बन गए। इसके बाद घोटाले से जुड़ी सारी फाइलें बंद कर दी गई।
बीएस येदियुरप्पा, कर्नाटक-कर्नाटक में बीजेपी का चेहरा बीएस येदियुरप्पा पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। येदियुरप्पा को इसकी वजह से मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। येदियुरप्पा पर 2011 में 40 करोड़ रुपए लेकर अवैध खनन को शह देने का आरोप लगा था और लोकायुक्त ने उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था। 2016 में सीबीआई की विशेष अदालत ने येदियुरप्पा को क्लीन चिट दे दिया था।
जितेंद्र तिवारी, पश्चिम बंगाल-आसनसोल के कद्दावर नेता जितेंद्र तिवारी ने 2021 में तृणमूल छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। सुप्रीयो ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर कहा था कि कोल तस्करी केस में सीबीआई की कार्रवाई के बाद कुछ नेता बीजेपी में आने की जुगत लगा रहे हैं। मैं ऐसा होने नहीं दूंगा। हालांकि, हाईकमान ने तिवारी की एंट्री को हरी झंडी दे दी। तृणमूल का आरोप है कि तिवारी कोयला तस्करी में शामिल रहे हैं और उन पर सीबीआई का एक्शन नहीं हो रहा है।
प्रवीण डारेकर, महाराष्ट्र-2009 से 2014 तक मनसे के विधायक रहे प्रवीण डारेकर पर 2015 में मुंबई कॉपरेटिव बैंक में 200 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया गया था. बीजेपी ने इस मामले को जोरशोर से उठाया, जिसके बाद आर्थिक अपराध शाखा को केस की जांच सौंपी गई। 2016 में डारेकर बीजेपी में शामिल हो गए और विधान परिषद पहुंच गए। साल 2022 में आर्थिक अपराध शाखा ने उन्हें क्लीन चिट दे दिया।
लिस्ट लंबी है और ये बढ़ती ही जा रही है। क्या हुआ कालाधन का। चंदा का धंधा सबके सामने है। मैं तो मांग करता हूं कि ‘पीएम केयर्स फंड की भी जांच कराई जानी चाहिए। आपको बतादें कि हमलोगों को यकीन है कि इस बार देश की जनता एकत्रित हो कर मोदी सरकार को आम चुनाव में हराने का काम करेगी।