Highlights:
· पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने पशुपालकों के लिए जारी की सलाह।
· बिना पशु चिकित्सक की सलाह के पशुओं को नहीं लगाया जा सकता है यह इंजेक्शन।
· पशु चिकित्सक के लिखे पर्चे के आधार पर ही इसकी खरीद-बिक्री हो सकती है।
· विभिन्न कानूनों के तहत इसका गलत इस्तेमाल दंडनीय अपराध है।
Patna: गैरजरूरी तौर पर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का उपयोग पशु स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। इससे पशुओं में हार्मोनल असंतुलन की समस्या हो सकती है। साथ ही लंबे समय तक यह इंजेक्शन पशुओं को देने से दुध का उत्पादन भी प्रभावित होता है। यही कारण है कि दुधारू पशुओं पर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के उपयोग पर सरकार ने रोक लगा रखी है।
सरकारी रोक के बावजूद व्यावसायिक प्रवृति के पशुपालकों द्वारा दुधारू पशुओं में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार अप्राकृतिक ढंग से दूध उतारने से दुधारू पशुओं में दवा की आदत हो सकती है, जिसकी वजह से उन्हें भविष्य में सामान्य रूप में दूध देने में कठिनाई हो जाती है। साथ ही ऑक्सीटोसिन की अधिकता दूध की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
इसको देखते हुए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के पशुपालन निदेशालय ने पशुपालकों के लिए आवश्यक सलाह जारी की है। इसमें बताया गया है कि ऑक्सीटोसिन हार्मोन का मुख्य कार्य पशुओं के प्रसव के समय गर्भाशय को संकुचित कर नवजात को बाहर आने में मदद करना है। इसका दूसरा मुख्य कार्य पशुओं की दुग्ध ग्रंथियों को उत्तेजित कर दूध स्रावित करना है।
पशुपालन निदेशालय ने कहा है कि कृत्रिम ऑक्सीटोसिन के उपयोग के कारण पशुओं में हार्मोनल असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इससे पशु स्वास्थ्य और दुध उत्पादन प्रभावित होता है। साथ ही पशु क्रूरता निवारण अधिनियम1960 और भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत पशुओं में ऑक्सीटोसिन का उपयोग दण्डनीय अपराध है। फूड एंड ड्रग एडल्ट्रेशन प्रिवेंशन एक्ट 1940 द्वारा ऑक्सीटोसिन को शेड्यूल ‘एच’ ड्रग में रखा गया है, जिसके अनुसार पशु चिकित्सक के परामर्श के बिना पशुओं में इसके उपयोग पर रोक है।
पशुपालन निदेशालय ने पशुपालकों को सलाह दी है कि वे स्वयं ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का उपयोग अपने दुधारू पशुओं पर नहीं करें। विशेष परिस्थिति में योग्य पशु चिकित्सक के द्वारा ही इस इंजेक्शन का उपयोग किया जाये।