New Delhi, International Desk: भारतीय सैनिकों की वापसी के कुछ दिनों बाद ही मालदीव की हेकड़ी निकल गई है। मालदीव ने अब यह बात स्वीकार कर ली है कि उसके सैनिकों के पास भारत की तरफ से दिए गए तीन विमानों के संचालन की क्षमता नहीं है। आपको बता दें कि स्थानीय मीडिया में द्वीप देश के रक्षा मंत्री घासन मौमून के हवाले से ये खबर प्रकाशित की गई है। मौमून का कहना है कि मालदीव के सैनिकों ने विमान चलाने की ट्रेनिंग शुरू की थी लेकिन वो इसे पूरा नहीं कर पाए थे और अब हालत ये है कि उनका एक भी सैनिक ऐसा नहीं है जो भारत की तरफ से दिए गए विमानों का संचालन कर सके।
मालदीव की निकली हेकड़ी
मालदीव के रक्षा मंत्री के मुताबिक, मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) के पास मालदीव का कोई सैन्यकर्मी नहीं है जो भारतीय सेना की ओर से दान में दिए गए तीन विमानों को चला सके. हालांकि, कुछ सैनिकों को पिछली सरकारों के समझौतों के तहत उड़ान का प्रशिक्षण देना शुरू किया गया था। हमारे सैनिक कई कारणों से इसे पूरा नहीं कर पाए. ऐसे में फिलहाल हमारे सैन्य बल में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसके पास दो हेलीकॉप्टर और डोर्नियर को उड़ाने के लिए लाइसेंस हो या पूरी तरह से उड़ान की ट्रेनिंग हो।
भारतीय जवानों के मालदीव छोड़ने के बाद आया बयान
मालदीव के रक्षा मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है, जब मोहम्मद मुइज्जू के आदेश के बाद भारत के 76 रक्षाकर्मियों ने देश छोड़ दिया था। मालदीव के राष्ट्रपति की ओर से 10 मई, 2024 तक मालदीव में तीन विमानन प्लेटफॉर्म चलाने वाले सभी भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस भेजने पर जोर देने के बाद दोनों देशों के संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था।
राष्ट्रपति मुइज्जू की वजह से पैदा हुआ तनाव
आपको याद होगी कि चीन समर्थक माने जाने वाले राष्ट्रपति मुइज्जू ने सत्ता में आने के तुरंत बाद ही भारत से कहा था कि वो अपनी सेना को वापस बुला ले। पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान मुइज्जू ने लोगों से वादा किया था कि वो द्वीप देश से भारतीय सैनिकों को भेजकर ही दम लेंगे और उन्होंने ऐसा ही किया। हालांकि, भारत सैनिकों की जगह टेक्निकल एक्सपर्ट्स को मालदीव भेजकर कूटनीतिक जीत हासिल करने में सक्षम रहा है, लेकिन अभी भी India-Maldives Tension बरकरार है।