New Delhi, News Desk:इस वक्त की बड़ी खबर है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात को लेकर है। आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) का वार्षिक शिखर सम्मेलन सितंबर 2025 में न्यूयॉर्क में होने जा रहा है। इस मंच पर एक बार फिर वैश्विक नेताओं का महाजूटान होगा। जहां अंतरराष्ट्रीय नीति, सुरक्षा, पर्यावरण और वैश्विक व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी है। इस बार भारत की ओर से PM नरेंद्र मोदी की उपस्थिति की संभावन है। इस बीच सूत्रों की मानें तो, उनके अमेरिका दौरे के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से एक अहम मुलाकात हो सकती है।
सात महीने में दूसरी मुलाकात
अगर ये बैठक होती है, तो यह दोनों नेताओं के बीच सात महीनों में दूसरी बार आमने-सामने की बैठक होगी। इससे पहले फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री मोदी ने वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस का दौरा किया था। दोनों नेताओं के बीच पहले कार्यकाल में जहां व्यक्तिगत गर्मजोशी देखी गई थी, वहीं ट्रंप के दूसरे टर्म में टैरिफ और व्यापारिक मतभेदों ने दोनों के रिश्ते में कड़वाहट पैदा कर दी है।
टैरिफ विवाद से टकराव
हाल के दिनों में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर पिछले कई महीनों से बातचीत जारी है, लेकिन कृषि और डेयरी क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर भारत की असहमति इस समझौते में सबसे बड़ी रुकावट बनी हुई है। इन मतभेदों के बीच ट्रंप प्रशासन ने भारत के कई उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाया है। इसके अलावा, भारत द्वारा रूस से तेल खरीद जारी रखने पर भी अतिरिक्त 25% शुल्क जोड़ा गया है, जिससे कुल प्रभावी टैरिफ 50% तक पहुंच गया है।हालांकि यह विवाद अब केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह अमेरिका की आर्थिक सुरक्षा और भारत के रणनीतिक व्यापार हितों के बीच टकराव का प्रतीक बन चुका है।
रूस से तेल खरीद पर ट्रंप नाराज
यूक्रेन युद्ध के जारी रहने के बीच भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद बनाए रखना अमेरिका के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। व्हाइट हाउस का मानना है कि इससे रूस को युद्ध जारी रखने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधन मिलते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस मुद्दे पर भारत की आलोचना करते हुए कहा है कि वह रूस से तेल आयात कम करे, ताकि आर्थिक दबाव से रूस पर प्रभाव पड़े और युद्ध समाप्ति की दिशा में बढ़ा जा सके।
भारत का अमेरिका को करारा जवाब
भारत ने कहा है कि अमेरिकी कंपनियां भी रूस से यूरेनियम, उर्वरक और रसायन खरीद रही हैं। भारत का यह रुख दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव को और गहरा कर रहा है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि हम अपने राष्ट्रहित से समझौता नहीं करेंगे।
पुतिन-ट्रंप बैठक पर भारत की नजर
इस बीच, 15 अगस्त को राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली प्रस्तावित बैठक पर भारत की पैनी नजर है। यह बैठक तीन साल से अधिक समय से जारी यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
अगर यह बैठक सफल रही, तो इससे वैश्विक बाजार में ऊर्जा की कीमतों पर असर पड़ेगा, जो भारत जैसे आयातक देशों के लिए सकारात्मक साबित हो सकता है।
ट्रंप-मोदी मुलाकात पर नजर
अब सबकी नजर सितंबर में होने वाला UNGA शिखर सम्मेलन पर है। यह मुलाकात भारत-अमेरिका संबंधों में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की संभावित मुलाकात से न केवल व्यापार और रणनीतिक सहयोग की दिशा तय होगी, बल्कि वैश्विक भू-राजनीतिक संतुलन पर भी गहरा असर पड़ सकता है। आपको बतादें कि दोनों नेताओं कि मुलाकात को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिज्ञासा बनी हुई है।