
घोसी। अमिला के लेखपाल दिनेश चौहान के निलंबन के विरोध में घोसी तहसील के लेखपालों का आंदोलन लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। तहसील सभागार के सामने सैकड़ों लेखपाल एकजुट होकर धरने पर बैठे और “आवाज दो हम एक हैं”, “उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ जिंदाबाद” ” इंकलाब जिंदाबाद” “न्याय दो, बहाली दो” जैसे नारों से तहसील परिसर को गूंजा दिया।
इस आंदोलन को अब अन्य तहसीलों का भी समर्थन मिलने लगा है। मधुबन, सदर और मोहम्मदाबाद तहसीलों के लेखपालों ने घोसी पहुंचकर साथियों के आंदोलन का समर्थन किया और कहा कि जब तक लेखपाल दिनेश चौहान का निलंबन वापस नहीं लिया जाता, तब तक वे भी संघर्ष में साथ रहेंगे।
धरना स्थल पर तहसील अध्यक्ष अरविंद पाण्डेय ने कहा कि “यह निलंबन पूर्णतः एकतरफा और राजनीतिक दबाव में लिया गया निर्णय है। बिना निष्पक्ष जांच के किसी कर्मी को दोषी ठहराना प्रशासनिक अन्याय है। जब तक निलंबन वापस नहीं होता, घोसी के लेखपाल कलम नहीं उठाएंगे।”
वहीं तहसील मंत्री सौरभ राय ने कहा कि “यह लड़ाई केवल एक लेखपाल की नहीं, बल्कि पूरी लेखपाल बिरादरी की गरिमा और सम्मान की है। यदि सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन को जिला और प्रदेश स्तर तक विस्तारित किया जाएगा।”
धरना स्थल पर लेखपालों ने प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की और संपूर्ण समाधान दिवस का बहिष्कार किया। लेखपाल संघ ने चेतावनी दी है कि यदि निलंबन आदेश जल्द वापस नहीं लिया गया, तो आगामी दिनों में अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की जाएगी।
तीसरे दिन भी लेखपालों के विरोध से तहसील के कई कार्य प्रभावित रहे और आमजन को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
Edied by Umashankar


