New Delhi, G.Krishna: दिल्ली उच्च न्यायालय में सोमवार को एक दिलचस्प वाक्या देखने को मिला। एक व्यक्ति ने दिल्ली हाई कोर्ट में ही केजरीवाल के लिए अंतरिम जमानत की मांग करते हुए एक अर्जी दाखिल की। इस अर्जी पर केजरीवाल की तरफ से ही आपत्ति दर्ज कराई गई। यही नहीं कोर्ट ने भी इसपर ऐतराज जताया और याचिकाकर्ता से कुछ तीखे सवाल पूछे। अरविंद केजरीवाल के वकील का सवाल था कि वो कौन होता है ऐसी मांग करने वाला। तमाम दलीलों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत की मांग करने वाले याचिकाकर्ता का अर्जी खारिज कर उसपर 75,000 का जुर्माना भी लगा दिया।
अंतरिम जमानत मांगने वाला कौन?
सीएम केजरीवाल की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट राहुल मेहरा ने मांगों पर हैरानी जताते हुए सवाल उठाया। उनके वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एक लॉ स्टूडेंट होने का दावा कर रहा है, केजरीवालों को सभी आपराधिक मामलों में अंतरिम जमानत देने की मांग कर रहा है। वो है कौन ऐसी मांग करने वाला। केजरीवाल की ओर से केस लड़ने वाले लोग हम हैं और हम लड़ भी रहे हैं। याचिकाकर्ता को निश्चित रूप से उसके वकील ने बरगलाया है। वह अपने आप को एक रीजनल रजिस्टर्ड पार्टी कह रहा है।
हाई कोर्ट ने 75,000 का लगाया जुर्माना
केजरीवाल के वकील को जवाब देते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वे पूछ रहे हैं कि मैं कौन हूं। मैं इस देश का नागरिक हूं और मुझे इस देश का संविधान देता है कि मैं इस मुद्दे को उठाउं। इसपर हाई कोर्ट ने भी आपत्ति जताई। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपको उनकी मदद की जरूरत नहीं है। जेंटलमेन(केजरीवाल) न्यायिक निर्देशों के आधार पर न्यायिक हिरासत में हैं। हम पहले ही कह चुके हैं कि राष्ट्र हित को व्यक्तिगत हित से ऊपर रखा जाना चाहिए पर यह फैसला केजरीवाल खुद ले सकते हैं। आप कौन हैं? आप कह रहें कि आपके पास वीटो पावर है तो क्या आप यूएन से हैं। जब आपने तय कर लिया है तो अदालत में क्यों आए हैं? अपनी मांगों को देखिए,आप कौन होते हैं उनकी ओर से अंडरटेकिंग देने वाले। हम इस याचिका को जुर्माना लगाते हुए खारिज कर रहे हैं। इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने 75,000 का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी और इस रकम को एम्स के फंड में जमा कराने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि अदालत लंबित आपराधिक मामले में असाधारण अंतरिम जमानत नहीं दे सकती। अदालत ने कहा, “कानून के छात्र द्वारा ‘वी द पीपल ऑफ इंडिया’ के नाम से दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि अपने रिट क्षेत्राधिकार में अदालतें उच्च पद पर आसीन व्यक्ति के खिलाफ लंबित मामलों में असाधारण अंतरिम जमानत नहीं दे सकती हैं।” अदालत ने कहा, “यह और भी अजीब है कि याचिकाकर्ता ने केजरीवाल के पक्ष में निजी मुचलका बढ़ाने की पेशकश की है और वचन दिया है कि केजरीवाल गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे।”