Ganga Dussehra: गंगा दशहरा का पर्व इस बार 5 जून यानी गुरुवार को मनाया जा रहा है। ये पर्व ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे गंगावतरण दिवस भी कहा जाता है। इस दिन मान्यता है कि मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। राजा भागीरथ की कठिन तपस्या के बाद गंगा को पृथ्वी पर लाया गया था ताकि उनके पूर्वजों के पाप धोकर उन्हें मोक्ष मिल सके।
क्या है महत्व ?
सनातन धर्म में गंगा दशहरा का धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं। गंगा दशहरा पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है,लेकिन जहां से जहां गंगा नदी बहती है, जैसे हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, ऋषिकेश, गढ़मुक्तेश्वर और पटना में वहां पर नदी किनारे मेला जैसी दृश्य देखने को मिलती है।
पूजा विधि और नियम
गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने का अत्यधिक महत्व है। अगर नदी में स्नान संभव न हो, तो घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद ‘ॐ नमो गंगायै’ मंत्र का जाप अवश्य करें। उसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर मां गंगा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। पुजन सामग्री में फूल, अक्षत, चंदन, दीपक, धूप, नैवेद्य (खीर या फल), पंखा, सुपारी, नारियल, मिठाई, तिल, गुड़, सफेद वस्त्र, जल से भरा कलश, और शुद्ध जल को शामिल करें। इसके बाद मां गंगा का ध्यान करते हुए इन मंत्रों का जाप करें।
- ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः
- गंगे च यमुनै चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन सन्निधिं कुरु।
- गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्। त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां।
गंगा दशहरा के दिन पितरों के निमित्त तर्पण करना भी शुभ माना जाता है। दान में दस वस्तुएं जैसे अन्न, जल, फल, वस्त्र, घी, नमक, तेल, शक्कर, सुहाग सामग्री और स्वर्ण का दान करना विशेष फलदायक होता है। गंगा दशहरा के दिन मांसाहार,मदिरा,प्याज,लहसुन से परहेज करें। इसके अलावा लोहे और प्लास्टिक की वस्तुओं का दान बिल्कुल भी न करें।
उपाय और विशेष ध्यान
गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में 5 या 7 बार डुबकी लगाना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करना भी फलदायक होता है। गंगा दशहरा पर विशेष रूप से हस्त नक्षत्र का महत्व है,जो इस दिन के विशेष पुण्य को और बढ़ाता है।
स्नान करने का शुभ मुहूर्त
गंगा दशहरा के दिन स्नान का सबसे शुभ समय प्रातः 5:25 बजे से 7:40 बजे तक है। ये समय विशेष रूप से पुण्यकारी माना जाता है। यदि इस समय में स्नान करना संभव न हो, तो दिनभर किसी भी समय गंगाजल से स्नान किया जा सकता है। जहां गंगा जी नहीं हैं वहां स्नान करने वाले पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा लें।
गंगा मां की आरती
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता ॥
॥ ओम जय गंगे माता..॥
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ॥
॥ ओम जय गंगे माता..॥
एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता ।
यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता ॥
॥ ओम जय गंगे माता..॥
आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता ।
दास वही सहज में, मुक्त्ति को पाता ॥
॥ ओम जय गंगे माता..॥
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।