दिल्ली में अमित शाह से मिले चंद्रबाबू और पवन कल्याण।
आगामी चुनाव में BJP-JSP-TDP में 6+2+17 का फॉर्म्युला।
विधानसभा चुनाव को लेकर भी बनी बात।
नई दिल्ली : 2024 के लोकसभा चुनावी रण में भारतीय जनता पार्टी ने NDA गठबंधन के लिए 400 पार का टारगेट तय किया है। इसको लेकर बीजेपी लगातार अपना कुनबा बढ़ाने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में बीजेपी का आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और पवन कल्याण की जेएसपी के साथ बात बन गई है। टीडीपी सांसद कनकमेदला रवींद्र कुमार ने पुष्टि की है कि तेलुगु देशम पार्टी एनडीए में शामिल हो रही है। बीजेपी ने टीडीपी-जनसेना के साथ गठबंधन किया है। इस अलायंस के बाद चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि गठबंधन से आंध्र प्रदेश को फायदा होगा।
बीजेपी-टीडीपी का एक साथ आना देश और राज्य के लिए लाभप्रद स्थिति है। गठबंधन को लेकर तेलगुदेशम पार्टी के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू और जन सेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण के साथ गृह मंत्री अमित शाह की मीटिंग हुई। दिल्ली में हुई बैठक के बाद गठबंधन का ऐलान हुआ।
बीजेपी-6, JSP-2, TDP-17, ये होगा फॉर्म्युला।
आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं। ऐसे में जो सीट शेयरिंग फॉर्म्युला तय हुआ है उसमें भाजपा 6, जनसेना पार्टी 2 और टीडीपी 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। वहीं आंध्र प्रदेश में होने वाले विधानसभा को लेकर भी सीट बंटवारे पर बातचीत हुई है। सूबे में 175 विधानसभा सीटें हैं। चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने साफ कहा है को वो 145 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में बीजेपी और जनसेना पार्टी के हिस्से में 30 सीटें ही आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक दोनों दलों के बीच 30 सीट को लेकर फैसला हो चुका है। यानि बीजेपी दक्षिण में अपनी जीत के लिए कमर कस चुकी है।
एनडीए से क्यों किनारा किया था नायडू?
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान करीब 10 साल बाद चंद्रबाबू नायडू की पार्टी एनडीए में लौटी थी। 2014 का चुनाव दोनों दलों ने साथ मिलकर लड़ा। लेकिन, 2018 आते-आते दोनों के रास्ते अलग हो गए। बात फरवरी 2018 की है। संसद का बजट सत्र चल रहा था। चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रही थी। बजट में नायडू की पार्टी की मांग का कोई जिक्र नहीं होने के बाद दोनों दलों में तल्खी बढ़ गई। मार्च खत्म होते दोनों दलों के रास्ते अलग हो गए। यहां तक कि टीडीपी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तक लेकर आ गई थी।