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- नवादा के अंचल कार्यालय चला रहे दलाल!
- हुजूर ने दे रखी है लूट की छूट।
- किसान-जमीन मालिक परेशान।
नवादा: आजकल नवादा जिला में जमीन की रसीद काटने के नाम पर किसानों का जबरदस्त तरीके से आर्थिक शोषण और दोहन किया जा रहा है। यह एक गंभीर समस्या है, जिसमें किसानों से अत्यधिक शुल्क या अवैध वसूली हो रही है। इससे किसानों को वित्तीय रूप से नुकसान हो रहा है और उनकी आजीविका भी प्रभावित हो रही है। हालात ये है कि यहां के सभी अंचल में कर्मचारियों और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से ये उगाही का धंधा बेरोकटोक जारी है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि एक एक किसान और जमीन मालिक महीनों से अंचल और कर्मचारियों के चक्कर काट रहे हैं । फिर भी किसानों की रसीद नहीं कट रही हैं।
आदेश ठेंगे पर
अब ऐसा भी नहीं है कि पटना में बैठे बड़े साहब को इस बात का पता नहीं है। जानकारी है, तब तो पिछले दिनों एक पत्र जारी किया गया। जिससे हालात कितने चिंताजनक हैं इसका पता चल जाता है। जरा इसको पढ़िए- अंचल कार्यालयों एवं राजस्व कार्यालयों के राजस्व सबंधी कार्यों में निजी व्यक्तियों (दलालों) के हस्तक्षेप रोकने लिए अधिकारी नियमित निरीक्षण करेंगे। सभी समाहर्ता, अंचलाधिकारी से प्रमाणपत्र प्राप्त करेंगे कि निर्धारित स्थान से भिन्न किसी भी हल्के में समानांतर हल्का कार्यालय नहीं चल रहा है। इस संबंध में राजस्व व भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सोमवार (7 अप्रैल 2025) को सभी समाहर्ताओं को पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि विभाग को विभिन्न स्रोतों से जानकारी मिल रही है कि कुछ अंचलों के हल्का कर्मचारियों द्वारा निर्धारित स्थान से अन्यत्र हल्का कार्यालय का संचालन कर राजस्व कार्य किया जा रहा है। अंचल अधिकारी का डोंगल एवं लैपटॉप का उपयोग निजी व्यक्ति (दलाल) द्वारा किये जाने का मामला सामने आ रहा है। साथ ही निजी कार्यालय में आवेदकों को बुलाकर अवैध रूप से राशि वसूल कर कार्य करने की भी शिकायतें आ रही हैं। ये विभागीय निर्देश का उल्लंघन है। आइए अब बात नवादा की।
नवादा जिला में कितने प्रखंड\अंचल हैं
नवादा जिला मुख्यत: 2 अनुमंडल में विभाजित है और अनुमंडल 14 प्रखंड\अंचल में विभाजित है |
नवादा-हिसुआ,काशीचक,कौआकोल,नारदीगंज, नवादा, पकरीबरावां,वारिसलीगंज।
रजौली- अकबरपुर,गोविंदपुर,मेसकौर,नरहट,रजौली,रोह,सिरदला।
उपर जो आप तमाम प्रखंड\अंचल के नाम देख रहे हैं उसकी हकीकत ये है कि आज की तारीख में ये पूरी तरह से कर्मचारियों,अधिकारियों और बिचौलियों की गिरफ्त में है। अब ये कोई छिपी हुई बात नहीं है। आप आज की तारीख में किसी भी अंचल में चले जाइए आपको वहां दलालों का एक गिरोह मंडराता हुआ नजर आ जाएगा। जो कर्मचारियों से लेकर सीओ साहब तक पहुंच रखता है। जहां आम किसान को सीओ साहब के चेंबर में घुसने के लिए सौ बार सोचना पड़ता है वहीं ये लोग सीधे बेरोकटोक आ जा सकते हैं और काम करवाने का मादा रखते हैं।
सब काम का रेट तय है
अब आप ये भी जान लीजिए कि यहां हर काम का रेट तय है। अगर आपको सामान्य रसीद कटवाना है और आपको बहुत अधिक जमीन ज्यादाद की जानकारी नहीं है तो 5 से 10 हजार की डिमांड की जाएगी। वहीं अगर आपका रसीद पांच साल से नहीं कटा है तो फिर ये लोग 15 हजार की मांग कर देंगे। इतना ही नहीं अगर म्यूटेशन नहीं हुआ है तो इसके लिए आपको 50 हजार से उपर देना पड़ सकता है। और ख़ुदा न ख़ास्ता अगर आपके जमीन पर पहले कोई केस मुकदमा हुआ हो लेकिन कोर्ट से आपकी डिग्री भी हो गई हो तब तो आपको लाखो रुपये का डिमांड आपके सामने रखी जा सकती है। इसके अलावे दाखिल खारिज का अगल ही रकम तय कर रखा है इनलोगों ने। अब रेट भी आपके जमीन के रकबा, जमीन खानदानी है या खरीदगी है, आपके कब्जे में है या नहीं, इस पर भी तय होता है। साथ ही रेट आपकी मंडवाली करने की क्षमता पर भी निर्भर करता है।
दलालों को हौसला कहां से मिलता है
एक बात और भी जान लीजिए कि एक कर्मचारी और अधिकारी के कई दलाल हैं। आप इनके पास जमीन की किसी भी तरह की समस्या लेकर जाइए समाधान इनके पास है। या यों कहें तो इनके पास हर जोड़ का तोड़ और हर तोड़ का जोड़ है। दरअसल ऐसा इसलिए है कि इनकी पहुंच उपर तक है। अगर आप इनकी मांग पूरा करने में सक्षम नहीं है तो ये बड़े ताव से कहेंगे- अपने से देख लेहो ददा। हो जैतो तो ठीके हैई ना त फिर हमरे पास आवे पड़तो। जा…जा।
आप दौड़ते रहिए कर्मचारी के पास, वो बोलेगा- Review Officer के पास आपका कागज गया है फिर कहेगा सीओ साहब के पास गया है। अभी जांच चल रहा है भाई। जब डीसीएलआर साहब के पास से फाइल आएगा तब ना रसीद कटेगा। थोड़ा इंतजार कीजिए। एकदम कपारे पर चढ गए हैं। आदमी कोल्हू का बैल बन जाता है। यहा बड़ा सवाल है कि आप किसको शिकायत करेंगे। सबका कमीशन तय है। ऐसे में या तो आप थक हारकर फिर दलाल शरणम् गच्छामि करेंगे। फिर देखिए ये सारे काम जो महीनों में नहीं हुऐ वो कुछ ही दिनों में हो जाएगा। जय हो सुशासन सरकार की।
साहब के दलाल साहब कहां मिलेंगें
दरअसल इनका कोई अंचल कार्यालय में बैठने के लिए कोई स्थान मुकर्रर नहीं होता है जहां वो आपको बैठे मिलेंगे। लेकिन अगर आप थोड़ा सा भी जागरुक हैं तो ये आपके गांव,पंचायत या आपके स्थानीय बाजार में भी मिल सकते हैं। ये आपको सीधे सीओ ऑफिस के दलाल तक पहुंचा देंगे। लेकिन काम करवाने का ये अपना कट लेंगे। ऐसे में दूसरा तरीका है कि आप सीधे सीओ ऑफिस आ जाइए। यहां पर दलाला सीओ ऑफिस के गेट पर, कर्मचारियों के कार्यालाय के पास, सीओ साहब के चेंबर के आसपास या फिर सीओ ऑफिस के आसपास साइबर कैफे,फोटो स्टेट की दुकान के पास, नहीं तो फार्म बेचने वाले दुकान के पास। और आखिर में चाय-पान की दुकान भी इनका ठिकाना होता है।
दलाल चला रहा है सीओ कार्यालय!
अब ऐसे हालात को देखने के बाद आप किसी भी किसान या जागरुक नागरिक से पुछिए कि सीओ कार्यालय में काम कैसे होता है। सीओ कार्यालय कौन चला रहा है वो तपाक से जवाब देगा- दलाल। पूरे कार्यालय पर दलाल का कब्जा है।
आपको याद होगा कुछ समय इसी बिहार में आरसीपी टैक्स की चर्चा हवा में तैरती थी और अब डीके टैक्स,एस टैक्स और एल टैक्स जैसी बातें राजनीतिक गलियारे में घूम रही है। कहने वाले ये भी कहते हैं कि कोई यों ही नहीं अंचल का सीओ बनता। इसके लिए बहुत कुछ देना होता।
खैर,सुशासन बाबू की जय बोलिए। बोलना पड़ेगा।
आप बिहार में हैं। बड़ा सवाल ये है कि आखिर नवादा के किसान और जमीन मालिक कहां जाएं? किससे गुहार लगाएं? रसीद कटवाने के लिए। माननीय नीतीश बाबू आपका भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के सारे दावे हवाहवाई हैं। आज की तारीख में किसी भी नवादा के सीओ कार्यालय में जाइए और वहां की जनता से पूछ लीजिए आपको पता चल जाएगा। कि सच्चाई क्या है?
आखिरी में पूर्व राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डा. दिलीप कुमार जायसवाल ने जो कहा था उस बात से बात को समाप्त करूंगा “राजस्व कर्मचारी और उनके नीचे स्तर के मुंशी और दलालों ने भू-माफियाओं के साथ मिलकर स्थिति को गंभीर बना दिया है। निर्धन लोगों का भी कोई काम बिना पैसे के नहीं हो रहा है। मैं जहां भी जा रहा हूं, लोग अंचल स्तर के कर्मियों के भ्रष्टाचार की शिकायतें लेकर आ जा रहे हैं। अब नए हाकिम संजय सरावगी जी आए हैं लेकिन हालात जस का तस बना हुआ