नई दिल्ली: मंगलवार यानि 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रहा हैं और 17 अप्रैल को महानवमी के साथ इसका समापन होगा। चैत्र नवरात्रि के पवित्र दिन मां दुर्गा को समर्पित हैं। इन नौ दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि चैत्र नवरात्रि में व्रत-उपासना करने वालों को मां दुर्गा मनचाहा वरदान देती है। चैत्र नवरात्रि में प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद ही देवी की पूजा आरंभ होती है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि-विधान।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
9 अप्रैल, मंगलवार की सुबह चैत्र नवरात्रि की घटस्थापना होगी। इस दिन आप शुभ मुहूर्त देखकर निसंकोच घटस्थापना कर सकते हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना या कलश स्थापना के दो शुभ मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक जबकि दूसरा मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त) सुबह 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक का है।
कलश स्थापना में लगने वाली सामग्री
कलश स्थापना के लिए मुख्य रूप से पीतल, तांबे या मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, कलावा, नारियल, छोटी लाल चुनरी, आम के पत्ते, जौ, सिंदूर, जल, दीपक, बालू या रेत, तिल का तेल या घी, मिट्टी आदि सामग्री की आवश्यकता होती है। ये सभी सामग्री आप पहले ही ले आवें। सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले पूरे घर की साफ-सफाई करें। घर में गंगाजल का छिड़काव जरूर करें। स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े।
उत्तर-पूर्व दिशा में देवी की चौकी रखें
इसके बाद ईशान कोण यानी घर की उत्तर-पूर्व दिशा में जहां देवी की चौकी लगाने वाले हैं, वहां साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें। फिर शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करें। पहले ईशान कोण में एक लकड़ी की चौकी रखें। इस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। चौकी के चारों ओर गंगाजल का छिड़काव करें और देवी की प्रतिमा चौकी पर रखें। इसके बाद चौकी के सामने पूजन सामग्री, फल मिठाई और अखंड ज्योति प्रज्वलित करें।
इसके बाद चौकी के बगल में कलश स्थापित करें। इसके लिए एक कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग में कलावा बांधें। उसमें हल्दी, अक्षत, लौंग, सिक्का, इलायची, पान और फूल डालकर कलश के ऊपर रोली से स्वस्तिक बनाएं। अब कलश के ऊपर अशोक या आम के पत्ते रखें. नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर उस पर कलावा बांधे और उसे कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रख दें। घटस्थापना पूरी होने के बाद देवी का आह्वान करें।
चैत्र नवरात्रि में कैसे करें पूजा?
नवरात्रि में पूरे नौ दिन सुबह-शाम दोनों समय पूजा करने का विधान है।। दोनों समय मंत्र का जाप करें और आरती भी करें। अपनी जरूरत के अनुसार किसी एक मंत्र का नौ दिन जाप करें। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सबसे उत्तम रहेगा। हर दिन अलग-अलग प्रसाद अर्पित करें या दो दो लौंग रोज अर्पित करें। अपनी शक्ति के अनुसार।
इस बार देवी घोड़े पर आ रही हैं
हर बार देवी का आगमन किसी विशेष वाहन पर होता है। इससे आने वाले समय के बारे में अनुमान लगाया जाता है। इस बार देवी का आगमन घोड़े पर हो रहा है। यह युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का प्रतीक है। लोगों के जीवन में व्यर्थ के विवाद और दुर्घटनाएं होने की संभावनाएं हैं।
चैत्र नवरात्रि में बरतें सावधानियां
चैत्र नवरात्रि में आप अपने आहार-व्यवहार पूरी तरह से सात्विकता बनाए रखें। दोनों वेला देवी की पूजा करें। नवरात्रि में रात्रि की पूजा ज्यादा फलदायी मानी जाती है। अगर उपवास रखें तो केवल जल और फल ग्रहण करें। पूजा स्थल को कभी खाली न छोड़ें। इन पवित्र दिनों में किसी का अपमान न करें। अपशब्द न कहें। सादा जीवन और उच्च विचार का पालन करें। माता के नाम का जाप अवश्य करें। अगर आप संस्कृत के मंत्र का जाप नहीं कर सकते तो जय माता दी,जय माता दी का ही जाप करें। मां अवश्य कल्याण करेंगी।