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पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग पर मिल रही एकमुश्त छूट: शीला कुमारी-पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग पर मिल रही एकमुश्त छूट: शीला कुमारी-पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग पर मिल रही एकमुश्त छूट: शीला कुमारी-पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग पर मिल रही एकमुश्त छूट: शीला कुमारी-पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग पर मिल रही एकमुश्त छूट: शीला कुमारी-बाढ़ थर्मल पावर प्लांट के प्रथम चरण की तीसरी इकाई का ट्रायल रन सफतापूर्वक पूर्वक पूरा।-बाढ़ थर्मल पावर प्लांट के प्रथम चरण की तीसरी इकाई का ट्रायल रन सफतापूर्वक पूर्वक पूरा।-बाढ़ थर्मल पावर प्लांट के प्रथम चरण की तीसरी इकाई का ट्रायल रन सफतापूर्वक पूर्वक पूरा।-बाढ़ थर्मल पावर प्लांट के प्रथम चरण की तीसरी इकाई का ट्रायल रन सफतापूर्वक पूर्वक पूरा।-बाढ़ थर्मल पावर प्लांट के प्रथम चरण की तीसरी इकाई का ट्रायल रन सफतापूर्वक पूर्वक पूरा।

कहां हो रहा पैरामेडिकल और नर्सिंग छात्रों के साथ ‘खेल’, कहीं आप भी तो नहीं हो गए हैं शिकार?

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लखनऊ: कोरोना के बाद छात्र- छात्राओं में पैरामेडिकल और नर्सिंग में करियर को लेकर ज्यादा ही दिलचस्पी है। यही वजह है कि आज की तारीख में शिक्षा माफिया इस सेक्टर में सक्रिय नजर आ रहे हैं। ताजा मामला उत्तर प्रदेश का है जहां बड़े पैमाने पर पैरामेडिकल और नर्सिंग के छात्रों के साथ खिलवाड़ चल रहा है। राज्य में ऐसे कई नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज हैं जिनके अस्तित्व पर ही सवाल है। कहने को तो इन कॉलेजों में हर साल एडमिशन हो रहे हैं, पढ़ाई चल रही है, परीक्षा ली जा रही है। सात ही इन संस्थानों से नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स करने वालों को डिग्री भी दी जा रही है। लेकिन वो डिग्री महज एक कागज के टुकड़े से ज्यादा कुछ भी नहीं। यानि सब गोलमाल है!

यूपी नर्सिंग, पैरामेडिकल का बोर्ड ही फर्जी!

बोर्ड ऑफ मेडिकल हेल्थ साइंस एंड रिसर्च। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस फर्जी मेडिकल बोर्ड ने अपना मुख्यालय प्रयागराज के धूमनगंज में बना रखा है। इस बोर्ड के पास किसी भी पैरामेडिकल या नर्सिंग कॉलेज को मान्यता देने का कोई अधिकार नहीं है। फिर भी सालों से ये सिलसिला चला आ रहा है। अब ऐसा नहीं है कि ये कोई यूपी में पहला है। उत्तर प्रदेश में एक ऐसा बोर्ड है जो राज्य के कई पैरा मेडिकल और नर्सिंग कोर्सेस चलाने वाले कॉलेजों को मान्यता दे रहा है। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि जो बोर्ड इन कॉलेजों को कोर्स कराने की मान्यता दे रहा है, उसे खुद मान्यता नहीं है।
फर्जी मेडिकल बोर्ड का खुलासा
दरअसल सूबे में चल रहे फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब कोर्स पूरा होने के बाद इन कॉलेजों में पढ़ने वाले पैरामेडिकल और नर्सिंग के स्टूडेंट्स अपना रजिस्ट्रेशन कराने गए। जब इन छात्रों ने उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी के ऑफिस पहुंचकर पंजीकरण की बात की तो पता चला कि उन्हें मिली हुई डिग्री तो फर्जी है। पढ़ाई पूरी करने के बावजूद उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता। इस खबर के बाद उन छात्रों के पांव के नीचे की जमीन खिसक गई। पहले तो उनके कई साल बर्बाद हुए और अब आगे भी रोजगार का कोई चांस नहीं। मामले के खुलासे के बाद यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी की ऑफिसर सुनीता मलिक ने फर्जी बोर्ड के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया है। इस फर्जी बोर्ड ने यूपी में और किन कॉलेजों को नकली मान्यता दे रखा है, इसकी जांच चल रही है।
स्टूडेंट्स का कॅरियर बर्बाद
हजारों स्टूडेंट्स का भविष्य अंधकार में डालकर फर्जी बोर्ड ने लाखों रुपये कमाए हैं। बिना शासन की अनुमति के शहर से ही संचालित बोर्ड ऑफ मेडिकल हेल्थ एंड साइंस रिसर्च की ओर से नर्सिंग पैरामेडिकल पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे थे। इस फर्जी बोर्ड की ओर से प्रदेश के कई जिलों में चल रहे संस्थानों को संबद्धता भी दी गई थी। इनमें ज्यादातर संस्थान देवरिया, मऊ, बलिया और कौशांबी के हैं। इस मामले में यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी की ओर से हुसैनगंज थाने में एफआईआर दर्ज करवाकर बोर्ड पर कार्रवाई की मांग की गई है।
सरकार सख्त,शिक्षा माफिया पस्त!
उत्तर प्रदेश नर्सिंग व मेडिकल फैकल्टी एसोसिएशन के कर्मचारी से मिली जानकारी के मुताबिक इस पूरे मामले में बहुत से कॉलेज शामिल हैं। ऐसे में बहुत से स्टूडेंट्स का कॅरियर बर्बाद हुआ है। बहुत से ऐसे स्टूडेंट्स है, जिन्होंने पहले साल ही दाखिला लिया उसके बाद यह पूरा मामला संज्ञान भी आ गया, लेकिन बहुत से ऐसे स्टूडेंट्स भी हैं जो दूसरे या तीसरे साल की पढ़ाई कर रहे हैं। उनका पूरा तीन साल बर्बाद गया है। जिसमें करीब 500 से अधिक स्टूडेंट्स है। खबर है कि आगे आने वाले दिनों में कुछ और खुलासे होने की संभावना है। वहीं सरकार के इस कार्रवाई से शिक्षा माफियाओं में खलबली मच गई है।

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