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धर्म की रक्षा के लिए शीश दिया- मगर सिर नहीं झुकाया, हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब को नमन।-धर्म की रक्षा के लिए शीश दिया- मगर सिर नहीं झुकाया, हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब को नमन।-धर्म की रक्षा के लिए शीश दिया- मगर सिर नहीं झुकाया, हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब को नमन।-धर्म की रक्षा के लिए शीश दिया- मगर सिर नहीं झुकाया, हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब को नमन।-धर्म की रक्षा के लिए शीश दिया- मगर सिर नहीं झुकाया, हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब को नमन।-धर्म की रक्षा के लिए शीश दिया- मगर सिर नहीं झुकाया, हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब को नमन।-धर्म की रक्षा के लिए शीश दिया- मगर सिर नहीं झुकाया, हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब को नमन।-पारदर्शी, प्रभावी और जनता-केंद्रित पुलिसिंग स्थापित करना है पहली प्राथमिकता - संजय कुमार त्रिपाठी-तहसील बार एसोसिएशन ने एसडीएम अशोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में घोसी के सपा विधायक सुधाकर सिंह को दी श्रद्धांजलि-“सम्राट चौधरी बने गृह मंत्री, नीतीश कैबिनेट में कानून-व्यवस्था की बागडोर भाजपा के हाथों”

मऊ : अमिला के निलंबित लेखपाल का ‘काला कारनामा’, सस्पेंड होते ही लेखपाल ने दर्ज कर दी वरासत! भ्रष्टाचार पर सवालों में जीरो टॉलरेंस सरकार

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Screenshot 2025 1102 175829मऊ। भ्रष्टाचार पर सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति को घोसी तहसील के अमिला क्षेत्र में तैनात एक लेखपाल ने जैसे ठेंगा दिखा दिया हो! बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष दुर्गविजय राय की शिकायत के बाद एसडीएम अशोक कुमार सिंह ने लेखपाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि 29 अक्टूबर को सस्पेंशन के तुरंत बाद ही उसी लेखपाल ने 30 अक्टूबर को वरासत दर्ज कर दी और 31 अक्टूबर को राजस्व निरीक्षक ने उसे अप्रूव कर खतौनी में दर्ज करा दी!

सवालों का पहाड़ — निलंबित होने के बाद कैसे चला पोर्टल?

साफ हैं कि निलंबन के उपरांत कोई सरकारी कर्मचारी अपने पद से संबंधित कार्य नहीं कर सकता! ऐसे में सस्पेंड लेखपाल ने आखिर कैसे पोर्टल चलाया? और बड़ा सवाल राजस्व निरीक्षक ने उस वरासत को अप्रूव कैसे कर दिया? क्या पूरा तंत्र इस खेल में शामिल था?

रिश्वत, सस्पेंशन और ‘जवाबी कार्रवाई’ की गूंज

पूर्व जिलाध्यक्ष दुर्गविजय राय का आरोप है कि लेखपाल ने उनके भाई से ₹6000 की रिश्वत मांगी थी। शिकायत के बाद अधिकारी हरकत में आए और लेखपाल को निलंबित कर दिया गया। लेकिन सस्पेंशन के बाद लेखपाल ने मानो ‘जवाबी हमला’ किया — वरासत दर्ज कर दी और फिर धरने पर बैठ गया! प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया, क्योंकि सवाल सिर्फ एक नहीं, कई हैं।

जनता पूछ रही है — भ्रष्टाचार पर लगाम कब?

अगर वरासत दर्ज करना इतना आसान था, तो इतने महीनों तक मामला क्यों लटका रहा? क्या रिश्वत न मिलने पर जनता को जानबूझकर परेशान किया गया? और अगर निलंबित कर्मचारी काम कर रहा है, तो “जीरो टॉलरेंस” नीति आखिर कहाँ है?

प्रशासन घिरा सवालों में

अब पूरा मामला जांच के घेरे में है। लेकिन लोगों के मन में एक ही बात गूंज रही है “क्या मऊ का प्रशासन भ्रष्टाचार पर वास्तव में सख्त है, या फिर जीरो टॉलरेंस का दावा सिर्फ कागजों तक सीमित है?”

एसडीएम अशोक कुमार सिंह का तेवर सख्त

“निलंबन के बाद किसी भी कर्मचारी को कार्यालय या पोर्टल पर काम करने का कोई अधिकार नहीं है लेकिन निलंबित लेखपाल ने पोर्टल खोलकर वरासत दर्ज की है तो इसे सेवा अनुशासन का गंभीर उल्लंघन माना जाएगा। मैं खुद इस मामले की निगरानी कर रहा हूँ — ऐसे कृत्य पर न केवल विभागीय कार्रवाई होगी, बल्कि एफआईआर दर्ज कर जेल भेजने तक की कार्रवाई की जाएगी। सरकारी व्यवस्था में अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

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