नई दिल्ली: काशी की तरह देश के पूर्वी राज्य असम में मां कामाख्या कॉरिडोर विकसित होगा। इस पर कुल 498 करोड़ रुपये खर्च होंगे। PM नरेंद्र मोदी ने मां कामाख्या कॉरिडोर का शिलान्यास किया। मोदी ने कहा कि आजादी के बाद सत्ता में रहे लोग पूजा स्थलों के महत्व को नहीं समझ सके। उन्होंने राजनीतिक वजहों से अपनी ही संस्कृति पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति बना दी। उन्होंने कहा अयोध्या में भव्य आयोजन के बाद मैं अब यहां मां कामाख्या के द्वार पर आया हूं। मुझे मां कामाख्या दिव्यलोक परियोजना का शिलान्यास करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जब यह बनकर पूरा होगा तो ये देश और दुनियाभर से आने वाले मां के भक्तों को असीम आनंद से भर देगा। राम मंदिर का उद्घाटन हो चुका है और 2024 के चुनाव में मंदिर मुद्दा अहम होगा।
धार्मिक कॉरिडोर पर फोकस
केंद्र का फोकस इन धार्मिक कॉरिडोर पर है और अब राज्य सरकारें भी इस पर फोकस कर रही हैं। इसका ताजा उदाहरण ओडिशा भी है। जहां पिछले महीने ही जगन्नाथ मंदिर हेरिटेज कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ। काशी और महाकाल कॉरिडोर बनने के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है। इसका फायदा राज्यों को भी हुआ है। कैसे इसके जरिए पूरे प्रदेश की तस्वीर बदल रही है। आने वाले वक्त में विकसित भारत बनाने में तीर्थाटन इकनॉमी का बड़ा योगदान होगा।
पर्यटन का प्रवेश द्वार बनेगा
केंद्र सरकार की ओर से 498 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे कामाख्या मंदिर कॉरिडोर पर पीएम मोदी ने कहा कि इसके तैयार हो जाने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस शक्ति पीठ में आएंगे। इससे पूरे पूर्वोत्तर के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। यह पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार बन जाएगा। उन्होंने कहा हजारों वर्षों की चुनौतियों के बावजूद ये हमारी संस्कृति और हमने खुद को कैसे संरक्षित रखा है इस बात के प्रतीक हैं।
हमारी मजबूत संस्कृति का हिस्सा रहे उनमें से कई प्रतीक आजकल खंडहर बन गए हैं। उन्होंने कहा कि BJP की डबल-इंजन सरकार की नीति विरासत स्थलों के विकास और संरक्षण की है। उन्होंने असम को एक उदाहरण बताया और कहा कि यह ऐसा स्थान है, जहां धर्म, अध्यात्मिकता और इतिहास आधुनिकता के साथ जुड़े हैं। मोदी ने कहा कि जिन परियोजनाओं की उन्होंने शुरुआत की उससे न केवल पूर्वोत्तर में बल्कि बाकी के दक्षिण एशिया में संपर्क सुविधा मजबूत होगी।