New Delhi, News Desk: आम फलों का राजा है। ऐसे में हर कोई को इंतजार रहता है कि बाजार में आम आए और वो उसका स्वाद ले। आजकल बाजार आम से भरे पड़े हैं। हर तरफ इसकी खुशबू लोगों को लुभाती है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि ये सुंदर और ताजे से दिखने वाले जो आम हैं, वो असली नहीं नकली है। नहीं सोचा है तो सोचिए और सावधान हो जाइए। अब जो हम आपको खबर बताने जा रहे हैं उसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल, तमिलनाडु में खाद्य सुरक्षा विभाग ने एक गोदाम से करीब 7.5 टन नकली आम जब्त किए हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये नकली आम क्या होते हैं, कैसे बनाए जाते हैं और अगर कोई इन्हें खा लिया जाए तो क्या होगा?
किसे कहते हैं नकली ‘आम’?
दरअसल इस नकली आम का मतलब ये कत्तई नहीं है कि ये इसे आम मशीनों से पकाए जाते हैं। सच्चाई ये है कि ये आम भी पेड़ों से ही तोड़े जाते हैं, लेकिन इसके पकाने के तौर तरीके की वजह से इन्हें नकली आम कहा जा रहा है। आप आप ये भी जान लीजिए कि आमों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके इस्तेमाल पर सरकार ने बैन लगा रखी है और ऐसे पकाए गए आम स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं।
कैल्शियम कार्बाइट से कैसे पकते हैं आम
कैल्शियम कार्बाइट आसानी से बाजार में मिल जाता है, जिसे लोग कीटनाशक बेचने वाली या हार्डवेयर की दुकान से भी खरीद सकते हैं। ये एक तरह के पत्थर की तरह होता है और इसे कई लोग चूना पत्थर भी बोलते हैं। कैल्शियम कार्बाइट से आम पकाने के लिए कच्चे आमों के बीच में कार्बाइट की पोटली बनाकर कपड़े में लपेटकर रख दी जाती है। इसके बाद आम को बिना हवा वाली जगह पर 3-4 दिन रख देते हैं और फिर इसके बाद खोलते हैं तो सभी आम पक जाते हैं। होता क्या है कि कैल्शियम कार्बाइड को नमी के संपर्क में लाने से एसिटिलीन गैस बनती है जिससे फल पक जाते हैं। इससे आम के पेड़ पर पकने का इंतजार नहीं किया जाता और इस खतरनाक ट्रिक से आम पका लिए जाते हैं, जो सेहत के लिए काफी खतरनाक है। वैसे कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल मेटल कटिंग और स्टील मैक्युफैक्चरिंग में होता है। इससे कम दिनों में ही आम पककर तैयार हो जाते है।
स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं?
अगर आप लंबे समय तक कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए आम खाते हैं तो इसके कैमिकल की वजह से पेट में दर्द, डायरिया, उल्टी की शिकायत हो सकती है। कैल्शियम कार्बाइड की वजह से चक्कर, सिरदर्द, मूड डिस्टर्ब जैसी दिक्कत हो जाती है। इतना ही नहीं कैल्शियम कार्बाइड एक केमिकल है तो ऐसे में लंबे समय तक अगर ये किसी भी रूप में शरीर में जाता है तो इससे कैंसर होने का भी खतरा रहता है। कुछ मामलों में दौरे भी पड़ सकते हैं।
क्या है विकल्प?
FSSAI ने भारत में फलों को पकाने के लिए एथिलीन गैस के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। एथिलीन एक प्राकृतिक हार्मोन है जो फलों के पकने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यह गैस फसल, किस्म और पकने के आधार पर 100 पीपीएम (100 μl/L) तक की सांद्रता में इस्तेमाल की जा सकती है। एथिलीन का उपयोग फल को प्राकृतिक रूप से पकने में मदद करता है और यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक नहीं है। केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (सीआईबी और आरसी) ने भी आम और अन्य फलों को पकाने के लिए एथेफॉन 39% एसएल नामक रसायन के उपयोग को मंजूरी दी है। ऐसे में आप जब भी आम खरीदें या खाऐं तो सावधान रहें।