HIGHLIGHTS
- कांवड़ रूट की दुकानों पर नेमप्लेट को लेकर बहस।
- यूपी पुलिस के नए निर्देश पर सियासत!
- 22 जुलाई से कांवड़ यात्रा होगी शुरू।
Muzaffarnagar, News Desk: यूपी पुलिस के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर उनके मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश पर बवाल मचा हुआ है। विपक्ष इस कदम को दक्षिण अफ्रीका में “रंगभेद” और हिटलर के जर्मनी की नीतियों से जोड़ कर देख रहा है। आपको बता दें कि वार्षिक कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होगी।
नेमप्लेट लगाने के फरमान
मुजफ्फरनगर पुलिस ने धार्मिक जुलूस के दौरान भ्रम से बचने के लिए मार्ग पर सभी खाद्य दुकानों को अपने मालिक का नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा कि कांवड़ यात्रा की तैयारी शुरू हो गई है। हमारे अधिकार क्षेत्र में, जो लगभग 240 किमी है, सभी भोजनालयों, होटलों, ढाबों और ठेलों (सड़क किनारे ठेले) को अपने मालिकों या दुकान चलाने वालों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि कांवड़ियों के बीच कोई भ्रम न हो और भविष्य में कोई आरोप न लगे, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति खराब ना हो।
नेमप्लेट पर सियासत तेज
अब इसको लेकर सियासत तेज हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने इसपर आपत्ति जताई है। खुद बीजेपी की सहयोगी जेडीयू भी इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रखती है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि जिला प्रशासन कांवड़ यात्रा में दुकान पर नाम लिखने के नियम की समीक्षा करे और इसे अन्य जिलों में लागू न करे।
जिला पुलिस के इस आदेश पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी नाराज हैं। उन्होंने कहा कि अगर नाम से ही पहचानना है तो जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है तो उसके नाम से क्या पता चलेगा? अखिलेश ने आगे कहा कि इस मामले में कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।
AIMIM चीफ का हमला
मुजफ्फरनगर पुलिस के इस निर्देश को लेकर AIMIM चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया भी आई है। उन्होंने ‘X’ पर लिखा, ” उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले. इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम ‘Judenboycott’ था।” वहीं, दारूल उलूम के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि धर्म के नाम पर आपत्ति करना बिल्कुल गलत है, क्या दुकान किस धर्म के आदमी की है यह बताना जरूरी है?
जावेद अख्तर भी नाराज
बॉलीवुड गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने भी पूछा कि पुलिस ने ऐसे निर्देश क्यों जारी किए हैं। जावेद अख्तर ने एक्स पोस्ट में कहा, “मुजफ्फरनगर यूपी पुलिस ने निर्देश दिए हैं कि निकट भविष्य में किसी विशेष धार्मिक जुलूस के मार्ग पर सभी दुकानों, रेस्तरां और यहां तक कि वाहनों पर मालिक का नाम प्रमुखता से और स्पष्ट रूप से दिखाया जाना चाहिए। नाजी जर्मनी में केवल विशेष दुकानों और मकानों को निशान बनाते थे।”