वृंदावन,न्यूज डेस्क: प्रेमानंद महाराज आज की तारीख में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। पूरी दुनिया में उनके करोड़ो चाहने वाले हैं। उन्होंने अपनी भक्ति की शक्ति से लोगों को संदेश दे रहे हैं कि अगर आपको अपने आराध्य पर विश्वास है तो सब कुछ संभव है। शरीर में उनकी चाहे जितनी भी पीड़ा हो लेकिन वो राधा नाम का जाप नहीं छोड़ते। वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज जी ने जीवंत मिसाल पेश की है। किडनी रोग से पीड़ित होने और प्रतिदिन डायलिसिस कराने की मजबूरी के बावजूद उन्होंने भक्तों को मुस्कुराहट और संकल्प का अद्भुत संदेश दिया है। जहां आमजन एक छोटी सी बीमारी और समस्या से विचलित हो जाते हैं, वहीं महाराज जी की ज़िंदादिली और राधा नाम की लगन ने भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा का नया संदेश दे दिया है। सच कहें तो जीने की राह दिखा दी है
भक्ति में सेहत आड़े नहीं आने देते
संत प्रेमानंद महाराज को Polycystic Kidney Disease नामक बीमारी पिछले लगभग दो दशकों से है। यह बीमारी धीरे-धीरे उनकी दोनों किडनियों को डैमेज कर दी है। पहले जहां सप्ताह में 5 दिन डायलिसिस किया जाता था, अब उन्हें रोजाना डायलिसिस की जरूरत पड़ रही है। इसके चलते उनका प्रतिदिन सुबह 2 बजे श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी से रमण रेती स्थित काली कुंज आश्रम तक की लगभग 2 किलोमीटर पदयात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई है – वह यात्रा जिसमें हर दिन हज़ारों भक्त दर्शन हेतु शामिल होते थे।
वीडियो शेयर किया गया
प्रेमानंद जी महाराज के इंस्टाग्राम अकाउंट @bhajanmarg_official पर एक वीडियो शेयर किया गया है। इस वीडियो में महाराज के स्वास्थ्य की स्थिति देखकर भक्त भावुक हो रहे हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि महाराज अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे हैं, लेकिन उनकी आंखें खुल नहीं पा रही हैं। चेहरा सूजा हुआ और लाल नजर आ रहा है, आवाज भी हल्की कांप रही है।
ईश्वर आपका श्रम देखकर खुश होते हैं
वीडियो में महाराज कहते हैं कि यह हमारा अभ्यास बन चुका है। हम कितने भी कष्ट में क्यों न हों, यह अभ्यास नहीं छूटता। जब तक हम अपने आराध्य को याद नहीं कर लेते, हमें चैन नहीं पड़ता। ईश्वर आपका श्रम देखकर खुश होते हैं, कामचोरी देखकर नहीं।’ उनकी ये बातें सुनकर सोशल मीडिया पर लोग भावुक हो गए और उनकी सेहत के लिए दुआएं करने लगे।महाराज जी अब श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी स्थित अपने निवास में रहकर ही चिकित्सा ले रहे हैं। पास के ही एक फ्लैट को डायलिसिस सुविधा के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, जहाँ एक छह सदस्यीय चिकित्सक टीम – जिसमें ऑस्ट्रेलिया के एक हृदय विशेषज्ञ भी शामिल हैं – उनकी देखरेख में जुटी है।