Highlights
* संस्कृत बोर्ड का होगा पूर्ण विकास।
* शिक्षकों एवं कर्मियों की सभी समास्याओं का शीघ्र होगा समाधान – सम्राट
* संस्कृति का जीवन दर्शन है संस्कृत – मंगल पाण्डेय
Patna: बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड, पटना द्वारा रविन्द्र भवन, पटना में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन किया गया। दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश के 650 प्रस्वीकृत संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाध्यापक उपस्थित हुए।
दोपहर एक बजे से प्रथम सत्र में प्रधानाध्यापकों का कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस.सिद्धार्थ , कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.लक्ष्मीनिवास पाण्डेय एवं बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने संयुक्त रूप से किया।
अपने उद्वोधन में स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मंगल पाण्डेय ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हृदय में शिक्षकों के प्रति सम्मान की भावना है। संस्कृत में संस्कार, चेतना एवं ज्ञान का भंडार है। पाठ्यक्रम में रामायण एवं गीता जैसे महान ग्रंथों को जो समावेश किया गया है इससे ज्ञान के अलावा छात्रों में संस्कार बढ़ेगी।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ.एस् सिद्धार्थ ने कहा कि यहां इस भवन में बिहार की संस्कृति दिखाई दी है। संस्कृति को परिलक्षित करती है संस्कृत। संस्कृत अध्यापकों पर एक अतिरिक्त जिम्मेदारी भी है जो कक्षाध्यापन के अलावा समाज में संस्कृति का संरक्षण करते हैं। शीघ्र ही संस्कृत विद्यालयों एवं कर्मियों की समस्याओं का समाधान करूंगा तथा प्रत्येक जिले में एक एक संस्कृत माडल स्कूल स्थापित किये जाएंगे। हमें पुनः गुरु शिष्य परम्परा को जीवंत करना होगा । संस्कृत में रोजगार की संभावनाएं एवं कम्प्यूटर आधारित संस्कृत शिक्षा प्रणाली पर बल दिया।
प्रदेश से आए प्रधानाध्यापक से बात करते हुए विद्यालयों के आधारभूत संरचना, सेवांत लाभ, पेंशन एवं समग्र शिक्षा से जोड़ने संबंधित बिन्दुओं पर शीघ्र निर्णय लेने की बातें कहीं वहीं संस्कृत दिवस समारोह के द्वितीय सत्र में बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष सह विधानपार्षद डॉ.दिलीप जायसवाल, कुलपति प्रो.लक्ष्मीनिवास पाण्डेय एवं बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने संयुक्त रूप से वेबसाईट एवं पोर्टल का लोकार्पण किये।
अपने उद्घाटन संबोधन में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि यूपीएससी परीक्षाओं में भाषा के रूप में संस्कृत रखकर ही तैयारी करनी चाहिए। संस्कृत सरल एवं सुगम है। संस्कृत से हमारी परंपरा अक्षुण्ण रहेगी। संस्कृत बढ़ेगी तो हमारी संस्कृति समृद्ध होगी। सर बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के सभी समस्याओं के समाधान के लिए कृतसंकल्पित है। आप सभी शिक्षकगण छात्रों एवं सामाज में संस्कृत भाषा का संरक्षण एवं संवर्धन का काम करें ।
केएसडीएसयू के कुलपति प्रो.लक्ष्मीनिवास पाण्डेय ने अपने संबोधन में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संस्कृत भाषा की उपयोगिता पर बल दिया। उन्होंने विद्यालयों में संस्कृतमय वातावरण निर्माण करने तथा छात्रों के मुख में भाषा प्रवाहित के लिए दस दिवसीय संस्कृत सम्भाषण आयोजित करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने कहा कि अध्यक्ष पद पर आसीन होने के बाद लगभग 26 जिलों का दौरा कर संस्कृत विद्यालयों की समस्याओं से अवगत हुआ। जिसमें विद्यालयों में आधारभूत संरचना का अभाव, कन्टिजेंसी मद का अभाव, कर्मियों का सेवांत लाभ, शिक्षकों के वेतन वृद्धि आदि समस्याएं प्रमुख हैं। इस दिशा में सरकार को लिखित अवगत करा दिया गया है। शीघ्र ही सभी समस्याओं का समाधान हमें देखने को मिलेगा।
बोर्ड द्वारा नूतन शिक्षा नीति -2020 पर आधारित संशोधित एवं संवर्धित वर्ग एक से 10 तक के पाठ्यक्रम को भी विमोचित किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश के 14 प्रधानाध्यापकों को सम्मानित किया गया। इनमें ऐसे विद्यालय का चयन किया गया है जिसका छात्रों का परिणाम संख्या अधिक थी। समारोह में बोर्ड के सभी सदस्यों एवं पाठ्यक्रम निर्माण उपसमिति के सभी सदस्यों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत 25-25 शिक्षकों के सामूहिक स्वस्तिवाचन एवं शंखनाद से हुआ। कार्यक्रम में आगत अतिथियों का स्वागत एवं प्रास्ताविक क्रमशः निवेदिता सिंह एवं दुर्गेश राय ने की । विषय प्रवेश बोर्ड के सदस्य चन्द्रकिशोर कुमार, पाठ्यक्रम की विशेषता संयोजक अरुण कुमार झा ने प्रस्तुत किया। दोनों सत्रों का संचालन डॉ.रामसेवक झा तथा धन्यवाद ज्ञापन बोर्ड के सदस्य डॉ.रामप्रीत पासवान ने किया। समारोह में पूरे प्रदेश से एक हजार से अधिक संस्कृतानुरागी, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्राध्यापकगण सम्मिलित हुए।
समारोह को सफल बनाने में निवेदिता सिंह, डा.दुर्गेश कुमार राय, चन्द्रकिशोर कुमार, धनेश्वर कुशवाहा, अनुरंजन झा, अरुण कुमार झा, डॉ.रामप्रीत पासवान, निरंजन दीक्षित, आशीष कुमार झा, सचिव नीरज कुमार, परीक्षा नियंत्रक उपेंद्र कुमार, सुशील वर्मा, भवनाथ झा, आलोक कुमार आदि की महत्वपूर्ण सहयोग रहा ।