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लेखक, निर्देशक प्रदीप अग्रवाल का रियलिस्टिक सिनेमा “तुम लौट आना जिंदगी, देखिए जरूर।

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फिल्म समीक्षा: “तुम लौट आना जिंदगी”
प्रेजेंटर: जय भोलेनाथ आर्ट्स
लेखक, निर्माता निर्देशक: प्रदीप अग्रवाल
कलाकार: आदित्य शर्मा, दीप्ति जयप्रकाश, विशाल शर्मा, गौरव बाजपेयी, अनुपमा शुक्ला, अमिता विश्वकर्मा, अजय कुमार सोलंकी
अवधि: 1 घंटा 53 मिनट
सेंसर: U/A
रेटिंग: 3 स्टार्स

ग्रामीण भारत में आज भी जल संकट एक बहुत बड़ी समस्या है जिससे प्रतिदिन लाखों लोग जुझ रहे हैं. देश में बेरोजगारी भी युवाओ के लिए बड़ी मुसीबत है. लेखक, निर्माता और निर्देशक प्रदीप अग्रवाल ने इन्हीं समस्याओं पर एक भावनात्मक फिल्म बनाई है जिसका नाम है “तुम लौट आना जिंदगी”. जय भोलेनाथ आर्ट्स के बैनर तले निर्मित फिल्म “तुम लौट आना जिंदगी” समाज के कई मुद्दों पर बात करती है, साथ ही आज के नफरत भरे माहौल में हिंदू मुस्लिम एकता को भी दिखाती है।

इस हिन्दी पिक्चर की स्टोरी एक रिटायर्ड टीचर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी पत्नी के देहांत के बाद बेहद तन्हाई और बेचैनी भरी जिंदगी गुजार रहे हैं. फिल्म उनके द्वारा डायरी पर लिख रही कविता की पंक्तियों से शुरू होती है “शाम ढले, इसी छत के तले तुम लौट आना जिंदगी”. फिल्म को बेहद कलात्मक और रचनात्मक ढंग से बनाया गया है.

ऋषिकेश मुखर्जी से प्रभावित निर्माता निर्देशक प्रदीप अग्रवाल ने एक सामाजिक और पारिवारिक सिनेमा का निर्माण किया है. फिल्म के कई संवाद याद रह जाते हैं. जब रिटायर्ड टीचर कहते हैं “बेरोजगारी युवा पीढ़ी को बर्बाद कर देगी.” तो ये डायलॉग हमारे समाज का कड़वा सच उजागर करता है. एक दृश्य में य़ह संवाद आता है “इंसानियत का धर्म सबसे बड़ा धर्म है.”

फिल्म “तुम लौट आना जिंदगी” में रिटायर्ड टीचर का चरित्र आदित्य शर्मा ने बखूबी निभाया है. उनका हावभाव, चेहरे का एक्सप्रेशन और संवाद अदायगी प्रभावी है. उनकी स्वर्गवासी पत्नी के रोल मे दीप्ति जयप्रकाश ने प्रभावित किया है। रिटायर्ड अध्यापक के विशेष मित्र असलम के रोल को विशाल शर्मा ने बड़ी सच्चाई से निभाया है। फिल्म में डॉक्टर का चरित्र गौरव ने और नर्स की भूमिका अनुपमा शुक्ला ने बेहतर ढंग से निभाई है। बेरोजगार युवती के रोल मे अमिता विश्वकर्मा और एक बेरोजगार लड़के की भूमिका अजय कुमार सोलंकी ने अदा की है।

फिल्म मे एक ही गीत है जिसका संगीत प्रदीप रंजन ने दिया है और गीत सीमा अग्रवाल ने लिखा है। फिल्म के डीओपी अशोक त्रिवेदी का कैमरा वर्क अच्छा है वहीँ कृष्णा की एडिटिंग तकनीकी रूप से बेहतर है. फिल्म वितरक राजकेश भदौरिया प्रचारक संजय भूषण पटियाला है.

फिल्म “तुम लौट आना जिंदगी” की स्टोरी और किरदार वास्तविक जीवन के इतने करीब हैं कि दर्शक इमोशनल तौर पर इससे जुड़ जाएंगे. कई दृश्य तो आंखें नम कर देने वाले हैं. यह फिल्म ऑडिएंस को विचार करने पर भी मजबूर करेगी। इस सामाजिक संदेश वाली पिक्चर को एक बार अवश्य देखा जाना चाहिए।

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