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Numerology: नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल, कौन बनेगा बिहार का CM...?-Numerology: नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल, कौन बनेगा बिहार का CM...?-Numerology: नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल, कौन बनेगा बिहार का CM...?-Numerology: नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल, कौन बनेगा बिहार का CM...?-Numerology: नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल, कौन बनेगा बिहार का CM...?-Numerology: नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल, कौन बनेगा बिहार का CM...?-सरदार पटेल: लौहपुरुष की अनकही कहानी, जिसने भारत को जोड़ा, झुकाया नहीं।-सरदार पटेल: लौहपुरुष की अनकही कहानी, जिसने भारत को जोड़ा, झुकाया नहीं।-सरदार पटेल: लौहपुरुष की अनकही कहानी, जिसने भारत को जोड़ा, झुकाया नहीं।-सरदार पटेल: लौहपुरुष की अनकही कहानी, जिसने भारत को जोड़ा, झुकाया नहीं।

“ट्रंप के टैरिफ का झटका: नमस्ते ट्रंप से भारत को क्या मिला?”

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Patna, Rajesh Kumar: आज की सबसे बड़ी खबर है…ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया। साथ ही जुर्माना भी। जो 1 अगस्त से लागू होगा। अब ये भी जान लीजिए डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार किसी देश पर पैनल्टी लगाई है। देर रात अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा भारत अमेरिका विरोधी ब्रिक्स का सदस्य है, दूसरा भारत के उंचे टैरिफ से अमेरिका का बड़ा व्यापार घाटा है। हालांकि भारत ने कहा है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है। होना भी चाहिए। अब आपको पुरानी यादें ताजा कराते हैं।

दोस्त दोस्त ना रहा

आपको याद होगा जब 2020 में डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर आए थे, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें लाखों की भीड़ के सामने ‘नमस्ते ट्रंप’ कहकर स्वागत किया। इससे पहले 2019 में ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में भी दोनों नेताओं ने हाथों में हाथ डालकर दोस्ती का संदेश दिया था। मंच पर ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा भी गूंजा, मानो भारत और अमेरिका का रिश्ता केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि राजनीतिक साझेदारी में बदल गया हो।

लेकिन कुछ ही महीनों बाद ट्रंप प्रशासन ने जो आर्थिक फैसले लिए, उन्होंने इस कथित ‘दोस्ती’ की परतें उधेड़ दीं। भारत पर टैरिफ लगाए , व्यापार संबंधों में कड़वाहट आई, और एक भी ठोस व्यापारिक डील नहीं हो सकी। नतीजा हम सबके सामने है।

ट्रंप का टैरिफ: एक सख्त आर्थिक रवैया

ट्रंप प्रशासन की ‘America First’ नीति का सबसे सीधा असर भारत पर पड़ा। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने भारत को GSP (Generalized System of Preferences) से बाहर कर दिया। इसका मतलब था कि अब भारत के लगभग 2,000 उत्पादों को अमेरिका में ड्यूटी-फ्री प्रवेश नहीं मिलेगा।

GSP से बाहर होने का नुकसान

  • अनुमानित वार्षिक नुकसान: $260 मिलियन से अधिक (लगभग ₹2000 करोड़)
  • सबसे अधिक प्रभावित: फार्मा, ऑटो पार्ट्स, जेम्स एंड ज्वेलरी, टेक्सटाइल और हैंडलूम सेक्टर

इसके अलावा, स्टील और एल्युमिनियम पर 25% और 10% तक के टैरिफ लगाए गए। भारत ने भी जवाब में अमेरिकी कृषि और अन्य उत्पादों पर शुल्क बढ़ाया, लेकिन इसका असर सीमित रहा।

डिजिटल टैक्स विवाद

भारत के Digital Services Tax (DST) पर अमेरिका ने नाराज़गी जताई और संभावित आर्थिक प्रतिबंधों की धमकी दी। अमेरिकी कंपनियों पर टैक्स लगाने के जवाब में भारत से आने वाले वस्त्र, चमड़ा, और आभूषण जैसे उत्पादों पर टैरिफ लगाने की चेतावनी दी गई।

‘नमस्ते ट्रंप’: क्या मिला भारत को?

‘नमस्ते ट्रंप’ जैसे आयोजनों ने दोनों देशों के रिश्तों को दुनिया के सामने पेश तो किया, लेकिन नीतिगत और व्यापारिक स्तर पर भारत को कोई ठोस फायदा नहीं मिला। सच कहें तो उल्टा पड़ गया।

क्या नहीं हुआ?

  • कोई ट्रेड डील साइन नहीं हो सकी, जिस पर कई महीनों तक चर्चा होती रही।
  • H-1B वीज़ा नीति और कड़ी हुई, जिससे हजारों भारतीय पेशेवर प्रभावित हुए।
  • ट्रंप प्रशासन ने मेडिकल डिवाइस पर प्राइस कंट्रोल, ई-कॉमर्स पॉलिसी, और डेटा लोकलाइजेशन जैसे मुद्दों पर भारत की आलोचना की।

क्या हुआ?

  • सामरिक स्तर पर QUAD और रक्षा समझौते ज़रूर मजबूत हुए।
  • 5G, इंडो-पैसिफिक रणनीति और रक्षा उपकरण खरीद जैसे क्षेत्रों में बातचीत बढ़ी।

लेकिन आम व्यापारी, एक्सपोर्टर और प्रोफेशनल्स के नजरिए से, यह सब नीतिगत सहयोग से ज्यादा प्रतीकात्मक इवेंट साबित हुए।

क्या खोया, क्या पाया?

भारत ने ‘नमस्ते ट्रंप’ और ‘हाउडी मोदी’ जैसे आयोजनों के ज़रिए वैश्विक मंच पर अपनी छवि को निखारने की कोशिश जरूर की, लेकिन ट्रंप प्रशासन की आर्थिक नीतियों के सामने वह प्रभावहीन साबित हुई। राजनीतिक साझेदारी की हकीकत यह रही कि अमेरिका ने अपने हितों को प्राथमिकता दी, और भारत को न टैरिफ में छूट मिली, न व्यापार में राहत। पीएम मोदी का रवैया मित्रवत रहा, लेकिन ट्रंप की नीति ‘लेन-देन’ आधारित रही।

वक्त है आत्मनिर्भर सोच का

‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा चाहे जितना गूंजा हो, वास्तविक लाभ की परीक्षा तो व्यापार और रोज़गार के आंकड़े करते हैं। भारत को अब विदेश नीति में दिखावे से ज़्यादा दमदार सौदेबाजी और आत्मनिर्भर रणनीति पर ध्यान देना होगा। कूटनीति में तस्वीरें और भाषण जरूरी हैं, पर असली रिश्ते करारों और नीतियों से बनते हैं।

ट्रंप ने नेहरू बना दिया!

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू आज हम सबके बीच नहीं हैं… लेकिन सुबह- शाम, दिन-रात पानी पी पी कर भला बुरा कहने वाले उनके द्वारा कि गई गलतियों से पीएम नरेंद्र मोदी ने कुछ नहीं सीखा। बस मजाक बनाते रहे। पचास के दशक में हिंदी- चीनी भाई-भाई का नारा पंडित नेहरू लगाते रहे और उस वक्त के चीनी पीएम चाउ एन लाई ने 1962 में भारत पर आक्रमण कर नेहरू जी और भारत को ऐसा जख्म दिया जिसे कोई नहीं भूल सकता। नेहरू जी का चीन के प्रति एकतरफा एतबार उनके लिए जानलेवा साबित हुआ।

बीजेपी वाले और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर नेहरू जी कि इस गलती का हवाला देकर उनका मजाक उड़ाते हैं । बेहतर होता कि नेहरू जी कि गलती से आप कुछ सीखते तो आज ये दिन ना आपको देखना पड़ता और ना देश को। सच कहें तो सीजफायर वाले मसले के बाद ट्रंप ने भारत पर टैरिफ अटैक कर पीएम मोदी को नरेन्द्र नेहरू बना दिया। अब तो बोलिए सेट अप ट्रंप!

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